जयपुर:-रामकथा के दौरान रामभद्राचार्य ने राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनने को लेकर एक विवादित दावा किया है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा “ऊपर वालों” को संकेत दिए जाने के बाद ही राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया। यह दावा रामभद्राचार्य ने खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने किया, जो गुरुवार को विद्याधर नगर स्टेडियम में चल रही रामकथा में पहुंचे थे।
रामभद्राचार्य ने मुख्यमंत्री से कहा, “मैं आपके शपथ ग्रहण समारोह में भी उपस्थित था। जब राजस्थान की सत्ता को लेकर चर्चा हो रही थी, तब मैंने ऊपर वालों को संकेत दिया कि इस बार मुख्यमंत्री पद के लिए एक ब्राह्मण को चुना जाए।” उन्होंने आगे कहा, “लोगों ने मुझे बताया कि वसुंधरा राजे नाराज हो सकती हैं, लेकिन मैंने कहा कि हम उनके मुंह से ये बात कहलवा सकते हैं।”
रामभद्राचार्य ने इस दौरान मुख्यमंत्री से गलता विवाद पर भी बात की। उन्होंने कहा कि गलता गद्दी रामानंदियों की है और इस पर कोर्ट का भी निर्णय आ चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस मुद्दे को जल्दी से कैबिनेट में प्रस्तावित किया जाए, क्योंकि यह उनकी “दक्षिणा” है। इस पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा, “गुरु जो कहते हैं, वह पूरी बात होगी।”
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- धर्म विरोधियों से निपटने के लिए खून खौलता है
रामकथा के इस आयोजन में बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी उपस्थित थे। उन्होंने अपने संबोधन में अंधविश्वास और धर्म के मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “आपको मुझ पर भरोसा नहीं करना चाहिए, केवल हिंदुत्व पर भरोसा करना चाहिए।” शास्त्री ने यह भी कहा कि वह अब गांव-गांव जाकर लोगों को धर्म से जोड़ने का प्रयास करेंगे और उन्हें कथा सुनने के लिए प्रेरित करेंगे।
शास्त्री ने यह भी कहा, “हमारी आंखों में आंसू नहीं आते क्योंकि हमें कश्मीरी पंडितों और बांग्लादेशी हिंदुओं का दर्द महसूस होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि धर्म विरोधियों को लेकर उनका खून खौलता रहता है और अब समय आ गया है कि हिंदू समाज को संगठित किया जाए।
नया नारा: ‘छेड़ोगे तो छोड़ा नहीं जाएगा’
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आगे कहा, “पहले लोग हिंदू होने से डरते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि धर्म विरोधी हम पर हमला कर सकते हैं। लेकिन अब हम हिंदू समाज को जगाने और एकजुट करने का संकल्प लेते हैं। अब हम नया नारा देंगे- ‘छेड़ोगे तो छोड़ा नहीं जाएगा’।”
इस बयान ने आयोजन में उपस्थित लोगों के बीच एक गहरी प्रतिक्रिया उत्पन्न की और शास्त्री के समर्थकों ने इसे जोश और एकता के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया।