जयपुर :- राजस्थान में विधायकों के इस्तीफे वापस लेने की कवायद के साथ ही स्थितियां बेहतर होती नजर आ रही हैं। कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि हाईकमान राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच हालातों को सामान्य कर रहा है। यह भी कहा जा रहा कांग्रेस में दोनों गुटों के बीच सुलह का फार्मूला तैयार हो चुका है। मगर सुलह की शांति के बीच अनुशासनहीता का मसला अब भी हाईकमान के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
विधानसभा बजट सत्र से पहले विधायकों के इस्तीफे वापस दिलवाकर जहां कांग्रेस हाईकमान एक कदम मजबूती से उठा लिया है। मगर 25 सितम्बर के घटनाक्रम को लेकर जिन तीन नेताओं को अनुशासनहीनता का दोषी माना गया था उनपर कांग्रेस अब भी निर्णय नहीं कर पाई है। बता दें कि 25 सितम्बर को अनुशासनहीनता के दोषी मंत्री शांति धारीवाल, डॉ. महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को नाेटिस दिया गया था।
3 महीने बाद भी नोटिस पर स्थिति साफ नहीं
तीनों नेताओं को 25 सितम्बर को हुए घटनाक्रम का दोषी मानते हुए कांग्रेस हाईकमान ने 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा था। इसपर तीनों नेताओं ने नोटिस का जवाब दिया था। मगर उसके बाद से अबतक तीनों नेताओं पर कार्रवाई को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई। इस घटनाक्रम को 3 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं। एक ओर जहां इस्तीफों पर निर्णय ले लिया गया है। वहीं दूसरी ओर अनुशासनहीनता पर निर्णय नहीं होना कांग्रेस में चर्चा का कारण बना हुआ है।
कभी माफी की खबर तो कभी नकारा
इस पूरे मामले ने कई बार करवट ली। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इस तरह की जानकारियां भी सामने आई कि तीनों नेताओं के माफी मांगने पर उन्हें माफ कर दिया गया है। हालांकि बाद में केसी वेणुगोपाल ने इसे खारिज किया। माफी मिलने की बात को इससे भी दम मिला क्योंकि यात्रा के दौरान तीनों नेता यात्रा में शामिल होकर सक्रिय नजर आए। नेता राहुल गांधी के साथ भी चले। मगर उसके बावजूद स्थितियां साफ नहीं हुई।
माफी मिली तो पायलट गुट के नाराज होने का खतरा
तीनों नेताओं पर कोई भी फैसला करना हाईकमान के लिए इसलिए मुश्किल है क्योंकि इस मसले पर जो भी निर्णय होगा उसका असर कांग्रेस की राजस्थान में राजनीति पर देखने को मिलेगा। खास तौर से अगर तीनों नेताओं को माफी मिलती है तो सचिन पायलट गुट इससे नाराज हो सकता है। क्योंकि जब 2020 में पायलट गुट ने बगावत की थी तब हाईकमान ने सभी नेताओं पर कार्रवाई की थी।
कार्रवाई हुई तो गहलोत की साख पर सवाल
वहीं दूसरी ओर तीनों नेताओं पर अगर हाईकमान कार्रवाई करता है तो इसका सीधा असर सीएम अशोक गहलोत की साख पर पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि तीनों नेता सीएम गहलोत के बेहद करीबी हैं। गहलाेत इस्तीफा पॉलिटिक्स के बाद भी लगातार बयानों में नेताओं का बचाव भी करते आए हैं। ऐसे में इनपर कार्रवाई करने से गहलोत की साख पर असर पड़ने के साथ-साथ एक नए विद्रोह की संभावना बनती है।
हाईकमान निकालेगा बीच का रास्ता
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में भी हाईकमान अलग से माथापच्ची कर रहा है। इस्तीफों के घटनाक्रम की तरह ही इस मसले पर भी बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। किसी भी गुट की तरफ झुकाव दिखाने से बचने और अनुशासनहीनता को लेकर सख्त दिखने के प्रयास हाईकमान कर रहा है। ऐसे में जल्द ही इस मसले को लेकर नया फार्मूला हाईकमान तैयार कर सकता है।