जयपुर :- कांग्रेस अपना राष्ट्रीय अधिवेशन फरवरी में करने जा रही है। इस अधिवेशन में कांग्रेस कई महत्वपूर्ण निर्णय लेगी। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि भविष्य को लेकर कांग्रेस नए संकल्प ले सकती है। अधिवेशन में कांग्रेस क्या नए संकल्प लेती है, यह भविष्य की बात है। लेकिन इसी साल हुए चिंतन शिविर में लिए गए संकल्प कांग्रेस अब तक कम से कम राजस्थान में तो पूरे नहीं कर पाई है।
15 मई 2022 : राष्ट्रीय चिंतन शिविर, उदयपुर
कांग्रेस ने 15 मई को उदयपुर में राष्ट्रीय चिंतन शिविर में संगठन को मजबूत करने के लिए कई संकल्प लिए थे। यह तय किया गया था कि अगले 90 से 180 दिनों में देशभर में ब्लॉक, जिला स्तर, प्रदेश स्तर व राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त नियुक्तियां पूरी कर जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। लेकिन चिंतन शिविर को हुए अब तक 225 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद संगठनात्मक नियुक्तियों के संकल्प के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है।
आलम यह है कि जिस राजस्थान में तीन दिन का मंथन कर कांग्रेस ने संकल्प लिया। उसी राजस्थान में संगठन को मजबूत करने के लिए की जाने वाली कवायद पूरी नहीं हुई। कांग्रेस में अब तक जिलाध्यक्ष तक नियुक्त नहीं हुए हैं। ऐसे में ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त होना तो बहुत दूर की बात है। यह भी तब है जब जुलाई 2020 में कांग्रेस ने राजस्थान में पूरी कार्यकारिणी खारिज कर दी थी। ढाई साल बाद तक भी कांग्रेस पूरी संगठनात्मक नियुक्तियां पूरी नहीं कर पाई है।
निर्वतमान पदाधिकारियों के भरोसे चल रही पार्टी
कांग्रेस की स्थिति राजस्थान में यूं है कि निवर्तमान पदाधिकारियों के भरोसे ही पार्टी चल रही है। कुछ जिलों को छोड़ दिया जाए तो 2020 के बाद सभी जिलों में निवर्तमान जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष ही कार्यभार संभाल रहे हैं। इसी तरह पूरी कार्यकारिणी भी पुरानी ही काम कर रही है। मगर चिंतन शिविर में संकल्प लेने के बावजूद नई नियुक्तियां नहीं की गई हैं।
मंडल कांग्रेस कमेटी का संकल्प भी अधूरा
उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में संगठन को मजबूत करने के लिए यह संकल्प भी लिया गया था कि ब्लॉक कांग्रेस के साथ-साथ मंडल कांग्रेस कमेटियों का भी गठन किया जाएगा। मंडल स्तर तक कांग्रेस को मजबूत करने के लिए यह नई पहल की गई थी।
मगर राजस्थान में इस पहल पर भी कुछ नहीं हुआ। राजस्थान कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि मंडल कमेटियों पर काम चल रहा है। जल्द ही गठन कर लेंगे।
पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी सिर्फ संकल्प के कागज पर
प्रदेश स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए भी चिंतन शिविर में संकल्प लिया गया था। तय किया गया था कि हर प्रदेश में पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी बनाई जाएगी। तय किया गया था कि एआईसीसी और पीसीसी का सेशन साल में एक बार अनिवार्य रूप से होगा। इसके अलावा जिला, मंडल और ब्लॉक लेवल की कमेटियों की बैठकें भी नियमित रूप से होगी।
चुनावों में पार्टी को मजबूत करने और राजनीतिक फ्रंट पर प्रभावी बनाने के लिए इस कमेटी के गठन का निर्णय लिया गया था। मगर अब तक इस पर कोई काम नहीं हुआ।
राजस्थान में खींचतान से संगठन धरातल पर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिला स्तर के कार्यकर्ताओं का कहना है कि आपसी खींचतान ने कांग्रेस संगठन को राजस्थान में धरातल पर ला दिया। इसके चलते कांग्रेस में नियुक्तियां तक नहीं हो पा रही हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस प्रदेश में संकल्प लिए गए हों, उसी प्रदेश में अगर वो लागू ना हो पाएं तो संगठनात्मक रूप से यह पार्टी की कमजोरी दर्शाता है।
संगठनात्मक रूप से बीजेपी कांग्रेस से काफी मजबूत
राजस्थान में दूसरी ओर संगठनात्मक रूप से बीजेपी काफी मजबूत है। बीजेपी में जिलों से लेकर मंडल, मोर्चे और बूथ स्तर तक कार्यकारिणी गठित है। लगभग 50 हजार बूथों पर बीजेपी ने अपनी कार्यकारिणी बना ली है। बीजेपी लगातार संगठनात्मक रूप से विस्तार कर रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मसले अपनी जगह हो सकते हैं मगर संगठनात्मक रूप से अगर तुलना की जाए तो बीजेपी कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा गंभीर और संगठित नजर आती है।