उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को शिक्षा मित्रों के मानदेय और कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक राकेश वर्मा के सवाल के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि फिलहाल शिक्षा मित्रों के मानदेय में वृद्धि का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसका मतलब है कि उन्हें अभी भी 10,000 रुपये मासिक मानदेय ही मिलेगा।
‘शिक्षा मित्र बंधुआ मजदूर बन गए’ – सपा विधायक
सरकार के इस जवाब पर सपा विधायक राकेश वर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने शिक्षा मित्रों को “बंधुआ मजदूर” बना दिया है और वे न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय पाने को मजबूर हैं।
वर्मा ने आगे तंज कसते हुए कहा, “मंत्री के यहां कुत्ता टहलाने वाले को भी 30,000 रुपये मिलते हैं, लेकिन जो शिक्षक बच्चों का भविष्य संवार रहे हैं, उनकी हालत सुधारने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है।”
भाजपा विधायकों ने किया हंगामा
शिक्षा मित्रों की तुलना कुत्ता टहलाने वाले से करने पर भाजपा विधायकों ने कड़ा विरोध जताया और सदन में हंगामा शुरू हो गया। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने सपा विधायक के बयान की निंदा करते हुए कहा, “विपक्ष पहले भी शिक्षा मित्रों की तुलना जानवरों से कर चुका है। उन्हें इस बयान के लिए सदन में माफी मांगनी चाहिए।”
कानून व्यवस्था पर भी गरमाई बहस
इससे पहले, सपा विधायक रागिनी सोनकर ने यूपी में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पीडीए परिवारों के सदस्यों की हत्या को पुलिस आत्महत्या करार दे रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एससी-एसटी और महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं, लेकिन पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा।
सोनकर ने यह भी सवाल उठाया कि पोस्टमॉर्टम डॉक्टरों के पैनल से नहीं कराया जा रहा और वीडियोग्राफी भी नहीं की जा रही।
सरकार का जवाब – हत्याओं में 41% की गिरावट
इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “आप पता नहीं कहां से आंकड़े लेकर आती हैं।”
खन्ना ने दावा किया कि 2016 की तुलना में 2024 में हत्याओं में 41% की कमी आई है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि:
- 2016 में 4,667 हत्याएं हुईं
- 2024 में यह संख्या घटकर 2,753 रह गई
हालांकि, विपक्ष सरकार के इन दावों से संतुष्ट नहीं हुआ और दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस जारी रही।