ओरेवा को बिना टेंडर दिया था मोरबी पुल का कॉन्ट्रैक्ट:कंपनी ने जंग लगी केबलें तक नहीं बदलीं, भार बढ़ा तो वे टूट गईं

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Ahmedabad :

मोरबी के सस्पेंशन ब्रिज की मरम्मत का काम ओरेवा कंपनी को बिना टेंडर के ही दे दिया गया था। यह खुलासा गुजरात पुलिस के कोर्ट में दिए हलफनामे से हुआ है। मोरबी के एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एचएस पंचाल ने बताया कि ब्रिज की मरम्मत के लिए कोई टेंडर जारी नहीं किया गया। नगर पालिका ने सीधे ही ओरेवा कंपनी से पुल की मरम्मत का कॉन्ट्रैक्ट कर लिया था।

पंचाल ने बताया कि फोरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिज की केबलें काफी पुरानी थीं और उनमें जंग लग चुका था। मरम्मत के दौरान केबलों की ऑयलिंग-ग्रीसिंग भी नहीं की गई थी। ब्रिज के लकड़ी के बेस को बदलकर एल्युमिनियम की चार लेयर वाली चादरें लगा दी गईं। इससे पुल का वजन बढ़ गया। पुरानी केबलें यह लोड संभाल नहीं सकीं और भीड़ बढ़ते ही ब्रिज टूट गया।

ब्रिज टूटने के मामले में पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन्हें मंगलवार को मोरबी की मजिस्ट्रियल कोर्ट में पेश किया गया। आरोपियों की रिमांड के लिए पुलिस ने हलफनामा पेश किया। सरकारी वकील पंचाल ने बताया कि पुलिस ने रिमांड अर्जी में लिखा है कि मरम्मत के दौरान ब्रिज के स्ट्रक्चर की मजबूती पर काम ही नहीं किया गया। केवल फ्लोर से लकड़ी हटाकर एल्युमिनियम की चादरें लगा दी गईं।

वजन बढ़ा तो केबलें टूटीं और लोग नदी में जा गिरे
सरकारी वकील पंचाल ने बताया कि फोरेंसिक साइंस लैब की जांच में पता चला है कि जिन चार केबलों पर ब्रिज टिका था, छह महीने की मरम्मत के दौरान उन्हें नहीं बदला गया था। फोरेसिंक एक्सपर्ट के मुताबिक बेहद पुरानी हो चुकीं केबलें नई फ्लोरिंग समेत लोगों का भार नहीं सह सकीं और ज्यादा वजन से केबलें टूट गईं। गुजरात पुलिस ने मंगलवार को मजिस्ट्रियल कोर्ट में पुल हादसे की फोरेंसिक रिपोर्ट दाखिल की थी।

पुलिस ने अदालत को यह भी बताया कि जिन ठेकेदारों को पुल रिपेयर का काम दिया गया था, वे इसे करने के लिए योग्य नहीं थे। वे सस्पेंशन ब्रिज की तकनीक और स्ट्रक्चर की मजबूती के बारे में जरूरी जानकारी नहीं रखते थे। लिहाजा उन्होंने पुल की ऊपरी सजावट पर ही फोकस किया। इसीलिए पुल देखने में तो चुस्त-दुरुस्त नजर आ रहा था, लेकिन अंदर से वह कमजोर हो चुका था।

चार आरोपी पुलिस कस्टडी और पांच न्यायिक हिरासत में
पुलिस की अर्जी पर मोरबी के मजिस्ट्रियल कोर्ट ने मंगलवार को ओरेवा के मैनेजर दीपक पारेख और दिनेश दवे, ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार को शनिवार तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया। वहीं, टिकट बुकिंग क्लर्क और सिक्योरिटी गार्ड समेत पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

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