अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए 3 जुलाई को कांग्रेस मुख्यालय पर बुलाई गई। बैठक से पहले प्रदेश की राजनीति में दोनों पक्षों के समर्थकों और नेताओं में हलचल तेज है। सचिन पायलट ने जयपुर में नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात का दौर शुरू करने से सीएम गहलोत गुट में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि खरगे और राहुल गांधी ने किन वादों को पूरा करने का आश्वासन सचिन को दिया है।
नई परिस्थितियों में सचिन के पास क्या कुछ नई जिम्मेदारी आएगी और उससे प्रदेश की राजनीति में किस प्रकार का बदलाव आएगा। नए समीकरणों से पार्टी में जो गतिरोध बना हुआ है वह पूरी तरह से समाप्त होगा या कोई नई परिस्थितियां पैदा होगी इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा छत्तीसगढ़ में जिस प्रकार के दिशा निर्देश दिए हैं उससे लगता है कि हाईकमान अब आग्रह कि नहींआदेश की राजनीति अपना रहा है। इस नई नीति से निश्चित तौर पर सीएम गहलोत के समर्थकों में इस बात की चिंता बढ़ गई है कि अब एक तरफा निर्णय नहीं हो पाएंगे। मानेसर की घटना के बाद सीएम गहलोत द्वारा अपनाए गए रुख में अब पूरी तरह से बदलाव आएगा।
3 जुलाई की बैठक को लेकर सचिन पायलट ने अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दी है और उन्होंने अपने समर्थित नेताओं और मंत्रियों से नई परिस्थितियों के बारे में जानकारी देकर फीडबैक लेने का काम शुरू कर रखा है। कांग्रेस की राजनीति में आने वाले तूफान से पहले तैयारियां और राजनीति में आने वाले बदलाव को लेकर नेता और कार्यकर्ताओं में अजीब सा सन्नाटा है। सीएम गहलोत द्वारा 2 महीने से जारी महंगाई राहत शिविर हलचल अब समाप्त हो गए। सीएम गहलोत चोटिल होने के बाद अपने निवास पर आराम कर रहे हैं। वे घर पर ही रहकर सरकारी कामकाज कर रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने कैबिनेट की बैठक कर महत्वपूर्ण निर्णय भी किए है। लेकिन सचिन पायलट के मामले को लेकर कैबिनेट में कोई फैसला हुआ है इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। वहीं सचिन पायलट ने अपनी मांगों पर कार्रवाई को लेकर हाईकमान पर पूरा दबाव बनाया हुआ है। ऐसा लगता है कि सीएम गहलोत ने कोई कार्यवाही नहीं की तो निश्चित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व अपने स्तर पर कार्यवाही के निर्देश दे देगा।
सचिन पायलट को क्या कुछ मिलेगा केंद्रीय नेतृत्व ने इसका मसूदा पूरी तैयार कर लिया है। इसके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा भी है ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा कैबिनेट मंत्री डॉ. महेश जोशी, लालचंद कटारिया, गोविंद मेघवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और रघुवीर मीणा इनाम की चर्चा है इनमें से कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 3 जुलाई को इसकी घोषणा कर दी जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि सचिन पायलट को नई जिम्मेदारी देने के लिए सीडब्ल्यूसी का सदस्य, टिकट देने वाली स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैनऔर राष्ट्रीय महासचिव पद देने की बात सामने आ रही है। इसके अलावा मंत्रिमंडल और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बदलाव के साथ उनके समर्थकों को स्थान मिलने की के दिशा निर्देश भी जारी होंगे। सीएम गहलोत समझदारी से काम लेंगे तो उन्हें भविष्य की राजनीति में फायदा मिलेगा। विधानसभा का चुनाव अब सीएम गहलोत के चेहरे पर नहीं लड़ा जाएगा। चुनाव की कमान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के पास ही रहेगी। सीएम गहलोत 21 जुलाई से विधानसभा का सत्र लाने की कवायद में जुट गए हैं । जिससे कि मंत्रिमंडल में बदलाव को को किसी तरह से टाला जा सके। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व सीएम गहलोत को इस बार किसी प्रकार की मनमानी नहीं करने देगा बल्कि जो निर्णय 3 जुलाई की बैठक में होंगे उन्हें तत्काल लागू कर पार्टी को के नेता और कार्यकर्ताओं को नया संदेश देने का काम किया जाएगा। अब बदलाव को लेकर विभिन्न प्रकार के सवाल और प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी है। इंतजार बहुत लंबा नहीं है परिणाम को लेकर सभी उत्सुक हैं कि आखिर केंद्र नेतृत्व इस बार किस प्रकार का निर्णय राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के संगठन और सत्ता के लिए करेगा। पार्टी में होने वाले नए बदलाव से निश्चित तौर पर आने वाले समय में पार्टी को मजबूत और सक्रिय बनाने में सहयोग मिलेगा। एक तरफा निर्णय की प्रवृत्ति में रोक लगेगी और कार्यकर्ताओं में जो आपसी मतभेद व्याप्त है उसका अंत हो सकेगा।
छत्तीसगढ़ के निर्णय के बाद इस बात का एहसास होने लगा है कि केंद्रीय नेतृत्व अब किसी नेता को मनमानी करने की छूट नहीं देगा, बल्कि पार्टी को सक्रिय और मजबूती के साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए तैयार की रणनीति तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। अब केंद्रीय नेतृत्व कठोर फैसले कर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं को चौंकाने वाला संदेश देगा। इसी को लेकर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को इंतजार है कि 3 जुलाई को दिल्ली में होने वाली केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में क्या कुछ फैसला होगा !