जयपुर:-राजस्थान की भजनलाल सरकार के खिलाफ सफाई कर्मचारियों का विरोध बढ़ता जा रहा है। सफाई कर्मचारियों की लंबित भर्ती को लेकर मंगलवार को प्रदेशभर के सफाई कर्मचारियों ने जयपुर में मीटिंग कर कार्य बहिष्कार का फैसला किया। जिसके बाद स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी हरकत में आए और हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे कर्मचारियों को बातचीत के लिए बुलाया है।
संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिय ने बताया कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के वक्त सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकली थी। जिसमें आवेदन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई। लेकिन बीजेपी सरकार के गठन के बाद भर्ती प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा रहा है। बल्कि, बेवजह उसमें रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इसी मांग को लेकर आज प्रदेशभर के सफाई कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी जयपुर में इकट्ठा हुए थे। जहां हम सब ने बैठक कर सरकार से एक बार फिर गांधीवादी तरीके से अटकी हुई भर्ती प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की मांग की है। अगर सरकार समय रहते नहीं जागी। तो उन्हें इसके दुष्परिणाम भगत ने पड़ेंगे।
दरअसल, पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 13 हजार 184 पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती निकाली थी, जिसके आवेदन भी ले लिए गए थे। आवेदन आने के बावजूद अब सरकार उन पर आगे की कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण पूरे प्रदेश में वाल्मीकि समाज और सफाई कर्मचारियों में रोष है। इसको लेकर प्रदेशभर में विरोध का सिलसिला शुरू हो गया है।
जयपुर में 8 हजार से ज्यादा कर्मचारी जयपुर में नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज में इस समय 8 हजार से ज्यादा स्थायी कर्मचारी हैं, जो शहर में सफाई करते हैं। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखते हुए संघ ने 23 जनवरी से हड़ताल पर जाने का निर्णय किया है। हालांकि इस बीच अगर सरकार उनसे वार्ता कर भर्ती की प्रक्रिया को दोबारा शुरू करती है तो हड़ताल पर टाली भी जा सकती है।
स्वच्छ सर्वेक्षण में रहा फिसड्डी जयपुर शहर में सफाई ठीक नहीं होने के कारण पहले ही देश में फिसड्डी चल रहा है। हाल ही में आए देश के प्रमुख शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में जयपुर का नंबर 170 से ऊपर रहा है। अगर 23 जनवरी से हड़ताल होती है तो शहर में स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी।