Ahmedabad : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं। रविवार को उन्होंने द्वारका में स्कूबा डाइविंग की। PM मोदी ने कहा कि यह एक दिव्य अनुभव था। मोदी ने बेट द्वारका में भगवान द्वारकाधीश की पूजा भी की। इसके बाद उन्होंने ओखा को बेट द्वारका से जोड़ने वाले सुदर्शन सेतु का लोकार्पण किया।
अब ओखा (द्वारका) से बेट द्वारका जाने के लिए लोगों को बोट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। ब्रिज को बनाने में 978 करोड़ की लागत आई है। पुल का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने द्वारका के द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना की। वे यहां लोगों से भी मिले।
मोदी सौराष्ट्र में 52 हजार 250 करोड़ रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण और उद्घाटन करेंगे। साथ ही राजकोट में गुजरात के पहले AIIMS का उद्घाटन करेंगे। रायबरेली (यूपी), बठिंडा (पंजाब), मंगलगिरी (आंध्र प्रदेश) और कल्याणी (पश्चिम बंगाल) में भी AIIMS का वर्चुअली लोकार्पण होगा। मोदी 1,056 करोड़ की लागत से तैयार राजकोट-सुरेंद्रनगर रेलवे डबल ट्रैक प्रोजेक्ट का भी उद्घाटन करेंगे।
मोदी शनिवार (24 फरवरी) देर शाम जामनगर पहुंचे। यहां उन्होंने रोड शो भी किया था।
पीएम मोदी ने द्वारका, जामनगर और पोरबंदर जिलों में ने 4 हजार करोड़ रुपए की 11 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन तीन जिलों को कवर करने वाले विकास कार्यों में सड़क, भवन निर्माण, शहरी विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय, रेलवे और ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स विभाग शामिल हैं।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा- कांग्रेस के समय में तो देश में हजारों करोड़ों के सिर्फ घोटाले ही होते रहते थे, जो अब बंद हो गए हैं। इसी के चलते बीते 10 सालों में हमने भारत को दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है। पूरे देश में मेगा प्रोजेक्ट से नए भारत की नई तस्वीर बन रही है। मुंबई में हाल ही में समंदर पर बने देश के सबसे लंबे ब्रिज का उद्घाटन हुआ। जम्मू के चिनाब ब्रिज की आज पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। तमिलनाडु में वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज का काम भी तेजी से चल रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि पुरानी बात याद आती है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। सदियों पहले यहां से दुनिया भर में सामान जाता था। यहां खूब गुणवत्ता वाली वस्तुएं मिलती थीं। सेतु बनने के बाद फिर से एक और ओखा दुनिया के नक्शे पर चमक गया है। पहले द्वारका और बेट द्वारका के लोगों को नावों पर निर्भर रहना पड़ता था। यात्रियों को परेशानी होती थी। समुद्र का मिजाज बिगड़ने पर बोट सेवा बंद भी हो जाती थी। जब भी यहां के साथी मेरे पास आते थे तो ब्रिज की बात करते थे। मैंने सोच लिया था कि मुझे यह काम करना है।
मैं तब की कांग्रेस सरकार के सामने ब्रिज बनाने की बात बार-बार रखता था, लेकिन कभी इस दिशा में काम नहीं हो पाया। इस सेतु का निर्माण भी भगवान श्रीकृष्ण ने मेरे ही हाथों लिखा था।