जयपुर:- राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करना अब निजी अस्पतालों को भारी पड़ सकता है। राज्य सरकार ने डॉक्टरों के आंदोलन पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस और चिकित्सा विभाग को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। दोनों विभाग अब निजी अस्पतालों की कुंडली बनाने में लग गए है। जयपुर पुलिस आयुक्त कार्यालय से सभी थानाधिकारियों को पत्र जारी किया गया है। जिसमें निजी अस्पतालों के बारे में जानकारी मांगी गई है। वहीं निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें की ओर से भी आदेश जारी किया गया है। जिसमें सभी सीएमएचओ से निजी अस्पतालों के बारे में जानकारी मांगी गई है।
निजी अस्पतालों की ऐसे बनाई जा रहीं कुंडली..
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से जारी आदेश में अस्पताल का नाम, संचालक/मालिक का नाम, अस्पताल में बैड की संख्या, वर्तमान स्थिति चालू या बंद के बारे में जानकारी मांगी गई है।
वहीं निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें की ओर से जारी आदेश में जिले का नाम, अस्पताल का नाम मय पूर्ण पता, संचालक/ मालिक का नाम व मोबाइल नंबर, अस्पताल में बैडों की संख्या व वर्तमान स्थिति चालू या बंद की जानकारी मांगी गई है।
निजी अस्पतालों पर हो सकती है कार्रवाई..
निजी अस्पतालों की ओर से राइट टू हेल्थ बिल का विरोध किया जा रहा है। डॉक्टरों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। डॉक्टरों के आंदोलन की वजह से कई मरीजों की मौत होने के मामले सामने आए है। वही आंदोलन अब तेज होता जा रहा है। जिसे देखकर सरकार की ओर से अब सख्त कदम उठाए जा सकते है।
मरीजों के हालात खराब..
निजी अस्पताल राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ है। लेकिन इस लड़ाई में रेजिडेंट डॉक्टर व अन्य चिकित्सक संगठन भी उनके साथ आ गए है। अब सरकारी चिकित्सक भी सामूहिक अवकाश पर जाने की तैयारी में है। जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर , बीकानेर मेडिकल कॉलेज में रेजिंडेट डॉक्टरों की स्ट्राइक से अस्पतालों के हालात बिगड़ गए है। सीनियर डॉक्टर मरीजों को देख रहें है। लेकिन मरीजों को भर्ती कम से कम किया जा रहा है। बहुत ज्यादा सीरियस होने पर ही मरीज को भर्ती किया जा रहा है। जिसकी वजह से प्रदेशभर में मरीजों के हालात दयनीय हो गए है।