अशोक तंवर का कांग्रेस में वापसी करना हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ लाता है। उन्होंने कई राजनीतिक पार्टियों का अनुभव लिया है, और अब कांग्रेस में लौटकर अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। तंवर का मुख्य मुद्दा भूपेंद्र हुड्डा से उनके मतभेद रहे हैं, जो उनके पिछले कार्यकाल के दौरान बने रहे।
भाजपा में शामिल होने के बाद, तंवर को सिरसा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन उन्हें कांग्रेस की कुमारी सैलजा के हाथों हार का सामना करना पड़ा। उनकी राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं, और अब 9 विधानसभा सीटों पर उनके प्रभाव के कारण कांग्रेस को एक नई ताकत मिल सकती है।
सिरसा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और तंवर की वापसी से कांग्रेस को इन वोटरों के समर्थन की उम्मीद है। तंवर की यह स्थिति भाजपा के लिए एक झटका हो सकती है, खासकर चुनावी समय में।
अब देखना यह होगा कि क्या तंवर अपने अनुभव और समर्थकों के जरिए कांग्रेस को सशक्त बनाने में सफल होते हैं, या फिर उनकी वापसी भी राजनीतिक समीकरणों को बदलने में असफल रहती है।