मणिपुर में हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण,दो दिन की छुट्टी और सुरक्षा बलों की तैनाती

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मणिपुर में शनिवार रात भड़की हिंसा के बाद स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है। रविवार को जिरिबाम जिले में एक मैतेई प्रदर्शनकारी की पुलिस की गोली से मौत हो गई, जिससे हालात और खराब हो गए हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने स्कूलों में दो दिन की छुट्टी घोषित कर दी है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को मणिपुर की सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। साथ ही, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) मणिपुर हिंसा से जुड़े तीन मामलों की जांच शुरू करेगी।

केंद्र सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मणिपुर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की 50 कंपनियां (लगभग 5,000 जवान) तैनात करने का निर्णय लिया है।

मणिपुर में हिंसा और प्रदर्शन

राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा के दौरान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और 13 विधायकों के घरों पर हमले हुए और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। मणिपुर में 3 महिलाओं और 3 बच्चों के शव मिलने के बाद से विरोध प्रदर्शन जारी है।

इन घटनाओं के कारण मणिपुर के सात जिलों — इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, बिष्णुपुर, थौउबल, काकचियांग, कांगपोकपी और काकचियांग में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू किया गया है। इन जिलों में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।

सुरक्षा बलों की तैनाती और फ्लैग मार्च

स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सेना, असम राइफल्स, बीएसएफ, सीआरपीएफ, मणिपुर पुलिस और राज्य के कमांडो इंफाल और आसपास के इलाकों में फ्लैग मार्च कर रहे हैं।

इंफाल के इमा कीथल में COCOMI (काउंसिल ऑफ चॉइसेस फॉर मणिपुर) और मणिपुर के कई अन्य संगठनों के लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनका आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार सुरक्षा मुहैया कराने में असफल हो गई हैं।

NPP ने भाजपा से समर्थन वापस लिया

मणिपुर की भाजपा सरकार में सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया। विधानसभा में NPP के 7 सदस्य थे, जो भाजपा को समर्थन दे रहे थे। हालांकि, भाजपा के पास 32 सदस्य हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 31 से अधिक हैं, इसलिए फिलहाल सरकार को कोई खतरा नहीं है।

मुख्यमंत्री और विधायकों के घरों पर हमले

16 नवंबर को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और भाजपा विधायकों के घरों पर हमले हुए थे। इस घटना के बाद कुछ भाजपा विधायकों और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि यदि स्थिति और बिगड़ी, तो अगले कुछ दिनों में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।

हिंसा के बाद संदिग्ध शवों की बरामदगी

16 नवंबर को जिरिबाम जिले के बराक नदी के किनारे तीन शव मिले थे, जिनमें दो महिलाएं और एक बच्चा शामिल थे। माना जा रहा है कि ये लोग 11 नवंबर को कुकी उग्रवादियों द्वारा अगवा किए गए थे। 11 नवंबर को सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया था, जिन्हें कुकी संगठन ने “विलेज गार्ड” बताया था। 15 नवंबर की रात भी एक महिला और दो बच्चों के शव मिले थे।

सुरक्षा और राजनीतिक संकट की गहरी होती जा रही स्थिति

मणिपुर में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और राज्य की सुरक्षा स्थिति पर गहरी चिंता जताई जा रही है। अब तक की घटनाओं ने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने को हिला दिया है, और फिलहाल स्थिति को सामान्य बनाने के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर पर कई कदम उठाए जा रहे हैं।