जयपुर:-आखिर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद को खत्म करने के लिए 26 मई शाम को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय पर बैठक बुलाई है। इस बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर विस्तार से चर्चा होनी है इसको लेकर विभिन्न नेताओं को नई जिम्मेदारियां देने का भी फैसला किया जा सकता है !
इस बैठक में सीएम गहलोत, सचिन पायलट के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कुछ और खास नेताओं को आमंत्रित किया है । इससे पहले प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा ने सह प्रभारी अमृता धवन, वीरेंद्र सिंह और काजी निजामुद्दीन की बैठक 26 मई को ही बुलाई है। इस बैठक में रंधावा सह प्रभारियों के साथ प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर फीडबैक लेंगे। सह प्रभारी अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्र का दौरा कर लौटे हैं और वह प्रभारी को अपनी रिपोर्ट देंगे उसी आधार पर प्रभारी भी अपनी रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे को प्रेषित करेंगे।
26 मई को होने वाली बैठक को लेकर सीएम गहलोत और पायलट समर्थित नेताओं और कार्यकर्ताओं में हलचल तेज हो गई है। हर कोई यह कयास लगा रहा है कि फैसला तो होकर ही रहेगा। यह कहा जा रहा है कि इस बैठक में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा भी मौजूद रहेंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष या फिर चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष घोषित किया जा सकता है। उन्हें यह भी आश्वस्त कि जाएगा कि उनको टिकट देने में बराबर की हिस्सेदारी दी जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए अब बयान बाजी पूरी तरह से बंद करने की हिदायत भी दी जाएगी। यह भी माना जा रहा है कि अब तक संगठन नहीं बन पाया है उसकी घोषणा भी शीघ्र कर दी जाएगी। चुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी निर्णय होना है।
सीएम अशोक गहलोत की कोशिश होगी कि सचिन पायलट किसी भी तरह से मजबूत नहीं हो इसका वे भरसक प्रयास करेंगे। यही कारण है कि सीएम गहलोत दावा कर रहे हैं कि सरकार के कामकाज और महंगाई राहत शिविर के माध्यम से मैं सत्ता में कांग्रेस को लाने में कामयाब हो जाऊंगा। ऐसे में पायलट कि किसी भी शर्त को नहीं माना जाए और उन्हें कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी जाए। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इस बार पायलट को अधिकार देने की रणनीति बना रहा है। यही नहीं केंद्रीय नेतृत्व पार्टी में एकता का सूत्र कायम करने की सलाह भी देगा।
25 सितंबर की बगावत को लेकर तीन नेताओं को अनुशासन समिति के नोटिस की सिफारिशों पर भी चर्चा कर निर्णय किए जाने की संभावना है। बैठक के माध्यम से संगठन में उदयपुर घोषणा पत्र के अनुरूप युवाओं, महिलाओं, ओबीसी, एससी, एस टी को संगठन में भागीदारी देने पर भी फैसला होगा। कर्नाटक चुनाव की जीत के बाद कुछ कड़े निर्णय भी केंद्रीय नेतृत्व लेने की रणनीति पर काम कर रहा है। यहां यह भी दावा किया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने 3 साल पहले बगावत के बाद समझौते के लिए जिस समिति का गठन किया था। उस समिति में अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी शामिल थी। अब अहमद पटेल स्वर्गवासी हो गए हैं। उस समिति की रिपोर्ट पर भी विचार कर फैसला किए जाने की संभावना है। लेकिन सीएम गहलोत इस रिपोर्ट पर निर्णय कराने के पक्ष में नहीं है।
केंद्रीय नेतृत्व साफ तौर पर कह चुका है कि निर्णय तो इस बार होकर ही रहेगा इसमें किसी भी नेता की नहीं चलेगी पार्टी हित में जो कुछ होगा वह निर्णय किया जाएगा। नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे कि वे अपने वर्चस्व की लड़ाई नहीं लड़े बल्कि पार्टी के हित में काम कर फिर से सत्ता में लाने की रणनीति पर काम करें। बैठक में बुलाए जाने को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से संबंधित नेताओं को फोन आ चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बैठक में कांग्रेस कमेटी के सभी पूर्व अध्यक्ष और पूर्व प्रतिपक्ष के नेता को बुलाए जाने की बात सामने आ रही है। राजस्थान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों को भी इसमें बुलाई जाने की चर्चा है।
प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि सचिन पायलट के आंदोलन के बारे में तो सीएम गहलोत ही जवाब देंगे। अभी तक प्रदेश में सीएम गहलोत के समर्थित नेता सचिन पायलट मांगों को लेकर जवाब दे रहे हैं। अब केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष सीएम गहलोत को सचिन पायलट की मांगों को लेकर जवाब देना ही पड़ेगा। अगर केंद्रीय नेतृत्व इस बात का निर्णय कर देता है कि मांगे जायज है और उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए तो सीएम गहलोत के लिए एक नई चुनौती सामने आ जाएगी।
सचिन पायलट इस बात की तैयारी में लगे हैं कि वे सीएम गहलोत द्वारा अब तक किए गए गलत निर्णयों को सामने लाएं और यह बताने का प्रयास करें कि वे पार्टी हित के निर्णय की जगह अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। इससे पार्टी में गुटबाजी बढ़ रही है इसे रोके जाने की जरूरत है।
पार्टी नेतृत्व के निर्णय नहीं होने के बावजूद भी प्रदेश में ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है कि चौथी बार भी सीएम गहलोत ही मुख्यमंत्री बनेंगे। जबकि स्वयं सीएम गहलोत ने ऐलान किया था कि आने वाले समय में युवाओं को ही नेतृत्व करना है अब यह क्यों कहा जा रहा है कि चौथी बार भी सीएम गहलोत की सरकार बनेगी। व्यक्तिवाद को बढ़ावा देने से पार्टी मजबूत होने की जगह कमजोर होगी। इस गलत धारणा को तोड़ने की जरूरत है और पार्टी को मजबूत बनाकर आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की रणनीति पर काम करना ही होगा। चर्चाएं बहुत है लेकिन 26 मई की बैठक में क्या कुछ होगा फिलहाल कुछ कहना संभव नहीं है, अब तो बैठक के निर्णय का इंतजार ही करना ही पड़ेगा।