राजस्थान के कोटा में शुक्रवार को एक 16 वर्षीय छात्र ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक छात्र की पहचान मयंक सिंह के रूप में हुई है, जो बिहार के वैशाली जिले का रहने वाला था। मयंक यहां जेईई की तैयारी कर रहा था।
क्या है पूरा मामला?
मयंक ने विज्ञान नगर इलाके के रोड नंबर 5 स्थित वेलकम प्राइम हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर जान दी। घटना का पता तब चला जब उसके परिवार वालों ने सुबह 10 बजे उसे फोन किया, लेकिन कॉल का जवाब नहीं मिला। परिवार की सूचना पर हॉस्टल वार्डन कमरे तक पहुंचे और दरवाजा तोड़कर देखा तो मयंक की लाश पंखे से लटक रही थी।
पढ़ाई का दबाव झेल नहीं पाया
मयंक के पिता निलेश सिंह, जो बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत हैं, ने बताया कि उनका बेटा अपनी मर्जी से कोटा पढ़ाई करने आया था। लेकिन वह पढ़ाई के दबाव को सहन नहीं कर सका। कोचिंग संस्थान से उसकी कक्षाओं में गैर-हाजिरी की शिकायतें भी आती रहती थीं।
हैंगिंग डिवाइस भी नहीं बचा सका
हॉस्टल में पंखों पर सुसाइड रोकने के लिए एंटी-हैंगिंग डिवाइस लगा था। लेकिन मयंक ने पंखे के हुक पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, डिवाइस का फंदे से कोई कनेक्शन नहीं हुआ, जिसकी वजह से छात्र को बचाया नहीं जा सका।
कैसे काम करता है एंटी-हैंगिंग डिवाइस?
यह डिवाइस पंखे पर 40 किलो से ज्यादा भार आने पर अलार्म बजा देता है या स्प्रिंग मैकेनिज्म के जरिए पंखा नीचे आ जाता है। हालांकि, तकनीकी कारणों से डिवाइस हर बार प्रभावी नहीं हो पाता।
माता-पिता का इकलौता बेटा था मयंक
मयंक के पिता ने बताया कि 19 दिसंबर को उनकी आखिरी बार बेटे से बात हुई थी। उसने बताया था कि हॉस्टल चेंज होने वाला है। मयंक ने मैट्रिक में 70 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और पढ़ाई में अच्छा था।
सुसाइड के मामले बढ़ रहे हैं
कोटा में पढ़ाई के दबाव और मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यह घटना एक बार फिर से कोटा में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और सपोर्ट सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करती है।