जयपुर:-राजस्थान में छात्र संघ चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति बरकरार है। एक और जहां उच्च शिक्षा मंत्री डॉ प्रेम बैरवा इस बार छात्र संघ चुनाव नहीं करने के मूड में है। वहीं, दूसरी ओर राजस्थान यूनिवर्सिटी द्वारा आम छात्रों से छात्र संघ चुनाव कराने का शुल्क वसूला जा रहा है। इसको लेकर अब छात्र नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया है।
दरअसल, राजस्थान यूनिवर्सिटी की ओर से छात्र संघ चुनाव के नाम पर प्रत्येक छात्र से 145 रुपए और 110 रुपए मेंबरशिप फीस वसूली जा रही है। इसके खिलाफ अब छात्रों ने कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है।
25 हजार छात्रों से 63 लाख से ज्यादा की राशि ली जा चुकी
छात्रनेता शुभम रेवाड़ ने कहा कि राजस्थान यूनिवर्सिटी नहीं चाहता कि नियमित रूप से छात्र संघ के चुनाव हों, लेकिन छात्र संघ के चुनाव के नाम पर राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रत्येक छात्र से लगातार शुल्क वसूल कर रहा है। प्रोस्पेक्टस में भी मेंशन है, 145 रुपए छात्र संघ चुनाव के और 110 रुपए मेंबरशिप फीस, कुल 255 रुपए प्रति छात्र वसूल किए जा रहे हैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले लगभग 25 हजार छात्रों से 63 लाख से ज्यादा की राशि हर साल छात्र संघ चुनाव के नाम पर ली जाती है। लेकिन चुनाव का आयोजन नहीं किया जा रहा है।
रेवाड़ ने कहा- जब भी छात्र प्रदर्शन करते हैं। उनको पुलिस प्रशासन को बुलाकर मुकदमे लगवा देते हैं। कोर्ट में ले जाते हैं, ऐसे में इस बार छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन को कोर्ट में लेकर जाएगा। जो पैसा छात्र संघ चुनाव के नाम पर लिया जा रहा है। उसका हिसाब ब्याज के साथ मांगा जाएगा।
गहलोत भी कर चुके छात्र संघ चुनाव कराने की मांग
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी हाल ही में छात्र संघ चुनाव कराने की मांग की थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा- हमारी सरकार के समय पुलिस-प्रशासन के फीडबैक के कारण चुनावी वर्ष में छात्र संघ चुनाव नहीं करवाए जा सके थे। क्योंकि प्रशासन विधानसभा चुनावों की तैयारी में व्यस्त था और अधिकांश जगह कॉलेज में ही चुनावी गतिविधियों जैसे चुनावी ट्रेनिंग, ईवीएम भंडारण और मतगणना केन्द्र आदि होते हैं।
इसलिए छात्र संघ चुनाव नहीं हो पाए थे। लेकिन मेरा मानना है कि छात्र संघ राजनीति की पहली पाठशाला है। छात्र संघ चुनावों से विद्यार्थियों में लोकतंत्र एवं संविधान के प्रति जागरूकता आती है। वो खुद छात्र संघ की राजनीति से निकले हैं। पिछले कार्यकाल में बीजेपी सरकार ने छात्र संघ चुनावों पर रोक लगाई थी, जिसे हमारी सरकार ने हटाया। कोरोना के बाद भी उन्हीं की सरकार ने छात्र संघ चुनाव बहाल किए थे। ऐसे में वर्तमान सरकार को छात्र संघ चुनावों की मांग कर रहे स्टूडेंट्स पर बल प्रयोग करने की बजाय उनकी मांग को मानना चाहिए।
बता दें कि राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके 18 पूर्व अध्यक्ष अब तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लेटर लिख प्रदेश में फिर से छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग कर चुके हैं। हालांकि अब तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। जिसके बाद छात्र संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।