जयपुर में हो रहे दो दिवसीय सम्मेलन में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) के संचालक और प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सम्मेलन की संयोजक और भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) की सीआरएस प्रमुख प्रोफेसर डॉ. संगीता प्रणवेंद्र ने बताया कि वर्तमान डिजिटल युग में सीआरएस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, और इसका समाधान प्रशिक्षण और सहयोग के माध्यम से ही संभव होगा।
प्रतिभागियों ने सम्मेलन में एक-दूसरे से सीखने और बातचीत करने का अवसर मिलने पर खुशी जताई। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू), भोपाल के सामुदायिक रेडियो कर्मवीर के स्टेशन डायरेक्टर डॉ. आशीष जोशी ने कहा कि यह एक ऐसा मंच है जहां स्थापित स्टेशनों के साथ नव स्थापित स्टेशनों की बातचीत हो सकती है। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास के इस दौर में, ऐसे प्लेटफॉर्म उन्हें नवीनतम जानकारियों के साथ तालमेल बिठाने में मदद करते हैं और आशा जताई कि यह सम्मेलन सामुदायिक भावना को बढ़ावा देगा।
सम्मेलन में सीआरएस के लिए आचार संहिता, स्वदेशी भाषाओं का संरक्षण और लिंग पहचान के बावजूद समान अवसरों पर भी चर्चा हुई।
सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) के बारे में
सामुदायिक रेडियो छोटे एफएम रेडियो स्टेशनों के रूप में कार्य करते हैं, जिनका कवरेज क्षेत्र लगभग 10-15 किलोमीटर होता है। ये कृषि जानकारी, सरकारी योजनाएं और मौसम पूर्वानुमान जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सीआरएस समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए अपनी चिंताओं को व्यक्त करने का एक प्रभावशाली माध्यम हैं, और अक्सर ये गरीब और वंचित समुदायों द्वारा संचालित होते हैं, जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया तक पहुंच नहीं होती।
क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलन
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 2012-13 में क्षेत्रीय सामुदायिक रेडियो सम्मेलनों की शुरुआत की। इसका उद्देश्य विकास और सामाजिक परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर नागरिक समाज की भागीदारी को बढ़ावा देना है। ये सम्मेलन सीआरएस को जमीनी स्तर की खबरें, सफलताएं और सर्वोत्तम प्रथाएं साझा करने का अवसर प्रदान करते हैं।
क्षेत्रीय सीआर सम्मेलन के उद्देश्य
- सामुदायिक रेडियो संचालकों को उनके अनुभव साझा करने का मंच प्रदान करना।
- चुनौतियों और नवाचारों पर चर्चा करना।
- सीआर स्वयंसेवकों को स्वामित्व की भावना प्रदान करना।
- संपर्क और आपसी जुड़ाव को बढ़ावा देना।
- जमीनी स्तर की आवश्यकताओं पर प्रभाव डालना।
- महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
सामुदायिक रेडियो सम्मेलन में जेईसीआरसी विश्वविद्यालय के जेईसीआरसी 90.8 एफएम के प्रतिनिधि चिराग गोदिका भी उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में शामिल होकर जेईसीआरसी 90.8 एफएम ने एक उत्कृष्ट एफएम बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
हमारे लिए यह अनुभव अद्भुत था, क्योंकि जेईसीआरसी 90.8 एफएम ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आईआईएमसी द्वारा आयोजित पश्चिमी क्षेत्र के रेडियो सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन में हमें कई ज्ञानवर्धक मेहमानों का साथ मिला, जिसमें यूनेस्को की आशिता सिंह, क्षेत्रीय सम्मेलन के सह-संयोजक प्रमोद कुमार, आईआईएमसी के डॉ. प्रेम कुमार और अन्य सामुदायिक रेडियो के प्रतिनिधि शामिल थे।