नई दिल्ली:-अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फोर्ब्स की गौतम अडाणी ग्रुप को लेकर पब्लिश रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं में से एक डॉ. जया ठाकुर के वकील एडवोकेट वरुण ठाकुर ने बेंच से रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेने का अनुरोध करते हुए कहा था कि इसे बाद में पब्लिश किया गया। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘नहीं, हम इसे रिकॉर्ड में नहीं लेंगे।’
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गौतम अडाणी का नाम 54 बार
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी का नाम, अमेरिका के शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में 54 बार लिया गया। वहीं गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी का जिक्र 151 बार किया गया। यानी गौतम अडाणी के नाम से 97 बार ज्यादा। जनवरी में पब्लिश इस रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर अकाउंटिंग फ्रॉड और स्टॉक मैनिपुलेशन के आरोप लगाए गए हैं।
शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं विनोद अडाणी
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की। दरअसल, भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।
विनोद अडाणी ग्रुप में मैनेजिरियल पोजिशन पर नहीं
अडाणी ग्रुप ने अपने चेयरमैन के भाई के साथ इस तरह की किसी भी टाइज से इनकार किया है। कंपनी ने हिंडनबर्ग को 29 जनवरी 2023 को जारी अपने 413 पन्नों के जवाब में लिखा है- विनोद किसी भी अडाणी लिस्टेड कंपनीज या उसकी सब्सिडियरी में मैनेजिरियल पोजिशन पर नहीं हैं।
ऑफशोर फंड के जरिए अडाणी ग्रुप को पहुंचाया फायदा
अडाणी ग्रुप ने कहा कि उन्होंने संबंधित पक्षों से जुड़े सभी लेन-देन को डिस्क्लोज किया है। हालांकि फोर्ब्स ने अडाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने वाले विनोद अडाणी के कुछ अनरिपोर्टेड ट्रांजैक्शन्स की पहचान की है जिसमें ऑफशोर फंड का इस्तेमाल किया गया है। यह ट्रांजैक्शन हिंडनबर्ग के अडाणी ग्रुप के अकाउंटिंग फ्रॉड के आरोपों को और मजबूत करते हैं।
रियल पपेट मास्टर हैं विनोद अडाणी
ऑस्ट्रेलिया बेस्ड एनालिसिस फर्म क्लाइमेट एनर्जी फाइनेंस के डायरेक्टर टिम बकले कहते हैं- मुझे हमेशा लगा कि यह एक पार्टनरशिप है। गौतम फ्रेंडली पब्लिक फेस हैं, और विनोद प्राइवेट टैक्स हेवन में मास्टरमाइंड, रियल पपेट मास्टर हैं। टिम बकले ने अडाणी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया में कोल माइन डेवलप करने के उसके प्लान की स्टडी की है।
सीमेंट कारोबार खरीदने में विनोद ने की मदद
अडाणी ग्रुप के साथ विनोद के कुछ सौदे सबके सामने हैं। अंबुजा की एक पब्लिक फाइलिंग के अनुसार विनोद की कंपनियों में से एक, एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड ने भारतीय सीमेंट कंपनियों अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और एसीसी लिमिटेड में स्विस फर्म होल्सिम के 10.5 बिलियन डॉलर के अधिग्रहण के लिए अडाणी ग्रुप के एक्विजिशन व्हीकल के रूप में काम किया। इस डील ने अडाणी ग्रुप को भारत की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बना दिया।
कुछ ट्रांजैक्शन ज्यादा साफ नहीं
पिनेकल ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट, सिंगापुर की कंपनी है जिसे इनडायरेक्टली विनोद कंट्रोल करते हैं। 2020 में पिनेकल ने रूस के VTB बैंक के साथ एक लोन एग्रीमेंट किया था। अप्रैल 2021 तक पिनेकल ने $263 मिलियन उधार लिए और एक अननेम्ड रिलेटेड पार्टी को $258 मिलियन उधार दिए।
सिंगापुर फाइलिंग के अनुसार उस साल बाद में पिनेकल ने लोन के लिए गारंटर के रूप में दो इन्वेस्टमेंट फंड-एफ्रो एशिया ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड और वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड ऑफर किए। ऐसे लगता है कि विनोद इन फंड्स में से एक वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट होल्डिंग लिमिटेड के मालिक हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि जून 2020 और अगस्त 2022 की इंडियन स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार मॉरिशस स्थित एक्रोपोलिस ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मालिक विनोद अडाणी हैं। एक्रोपोलिस के पास वर्ल्डवाइड इमर्जिंग मार्केट की 100% हिस्सेदारी है।
एफ्रो एशिया ट्रेड और वर्ल्डवाइड दोनों ही अडाणी ग्रुप के बड़े शेयरधारक हैं। अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी ट्रांसमिशन, अडाणी पोर्ट्स और अडाणी पावर में दोनों फंडों के पास कुल मिलाकर 4 बिलियन डॉलर (16 फरवरी के मार्केट प्राइस के अनुसार) के स्टॉक है। ये सभी फंड को “प्रमोटर” संस्थाओं के रूप में एकनॉलेज करते हैं।
इन्वेस्टमेंट ट्रैकिंग वेबसाइट ट्रेंडलाइन के अनुसार एफ्रो एशिया ट्रेड और वर्ल्डवाइड के पास कोई अन्य सिक्योरिटीज नहीं हैं। इसका मतलब है कि पिनेकल का लोन फंड्स के पास मौजूद अडाणी कंपनी के शेयरों से सिक्योर है। फोर्ब्स की फाइंडिंग्स को रिव्यू करने वाले एक इंडियन सिक्योरिटीज एक्सपर्ट ने कहा, ‘अडाणी में निवेश किए गए फंड पर आप पैसे उधार ले रहे हैं।’
गौतम अडाणी पब्लिक फेस, विनोद लो प्रोफाइल
जहां गौतम अडाणी पब्लिक फेस हैं, तो विनोद लो प्रोफाइल रहते हैं। वो सिंगापुर के परमानेंट रेसिडेंट हैं। विनोद को कई नामों से जाना जाता है। उनका एक नाम विनोद शांतिलाल शाह भी है। उनकी बर्थ डेट एक मिस्ट्री है। हालांकि विनोद के बारे में एक बात साफ है कि वह अरबपति हैं। फोर्ब्स का अनुमान है कि वह कम से कम 1.3 बिलियन डॉलर के मालिक हैं।
विनोद के पास दुबई में 10 प्रॉपर्टी
वॉशिंगटन डीसी बेस्ड नॉन-प्रॉफिट सेंटर फॉर एडवांस्ड डिफेंस स्टडीज के रियल एस्टेट डेटा के अनुसार विनोद के पास दुबई में 10 प्रॉपर्टी है। सिंगापुर में अपार्टमेंट है, जिसकी कीमत अनुमानित 4 मिलियन डॉलर है। फोर्ब्स ने पाया कि विनोद बहामास, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, केमैन आइलैंड्स, साइप्रस, मॉरिशस, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात सहित ऑफशोर टैक्स हेवन में कम से कम 60 एंटीटीज के मालिक हैं या उनसे जुड़े रहे हैं।
तीन दशक से विदेश में रह रहे विनोद
विनोद तीन दशक से विदेश में रह रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स में एक स्पॉन्सर्ड आर्टिकल के अनुसार, उन्होंने अमेरिका में इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली और फिर 1976 में मुंबई में एक टेक्सटाइल बिजनेस सेटअप किया।
1980 के दशक में विनोद ने 1,000 डॉलर में एक छोटी प्लास्टिक पैकेजिंग फैक्ट्री खरीदी। इसे चलाने में मदद करने के लिए अपने छोटे भाई गौतम को शामिल किया। गौतम ने 2009 में फोर्ब्स को बताया था कि हमने करीब-करीब शून्य से शुरुआत की थी।
पहले सिंगापुर, फिर दुबई गए विनोद
1989 तक विनोद ने कमोडिटीज में ट्रेड करने के लिए अपनी कंपनी का विस्तार किया। उन्होंने सिंगापुर में एक नया ऑफिस खोला और वहां शिफ्ट हो गए। 1994 में वह दुबई चले गए। यहां उन्होंने दुबई, सिंगापुर और जकार्ता (इंडोनेशिया की कैपिटल) में ऑपरेशन के साथ चीनी, तेल और मेटल्स का ट्रेड शुरू किया। उन्होंने ऑफशोर कंपनियों का साम्राज्य खड़ा करना भी शुरू किया।
पनामा पेपर लीक के अनुसार विनोद ने जनवरी 1994 में बहामास में एक कंपनी की स्थापना की। दो महीने बाद उन्होंने कंपनी के दस्तावेजों पर अपना नाम विनोद शांतिलाल अडाणी से बदलकर विनोद शांतिलाल शाह करने का अनुरोध भी किया।
2011 तक अडाणी ग्रुप में एग्जीक्यूटिव पोजिशन्स पर रहे विनोद
विनोद दुबई में विस्तार कर रहे थे, तो गौतम अपना करियर शुरू कर रहे थे। उन्होंने 1988 में अडाणी ग्रुप की स्थापना की और 1994 में इसे पब्लिक किया। सालों से विनोद अपने भाई के बिजनेसेज में गहराई से शामिल रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार विनोद ने कम से कम 2011 तक अडाणी ग्रुप की कंपनियों में एग्जीक्यूटिव पोजिशन्स पर काम किया। विनोद के 44 साल के बेटे प्रणव अभी भी अडाणी एंटरप्राइजेज में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।
अडाणी ग्रुप के एक ट्रांजैक्शन में विनोद का नाम आया था
2014 में अडाणी ग्रुप के 800 मिलियन डॉलर के पावर प्लांट उपकरणों के ओवर-इनवॉइसिंग से जुड़े एक मामले में विनोद अडाणी का नाम सामने आया था। विनोद पर डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने अडाणी ग्रुप के कर्मचारियों के साथ मिलकर साजिश को अंजाम देने का आरोप लगाया था।
इस मामले को शुरू में खारिज कर दिया गया था, लेकिन अपील की गई और अभी भी यह मामला भारत के कस्टम अथॉरिटीज के समक्ष लंबित है। अडाणी ग्रुप ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है।