नई दिल्ली:-एलन मस्क की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी ‘टेस्ला’ जल्द ही भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेगी। कंपनी भारत में वेंडर बेस स्टेब्लिश करने के लिए मान गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के साथ मीटिंग के बाद कंपनी इलेक्ट्रिक कारों की असेंबली शुरू करेगी। इसके बाद वेंडर बेस स्थापित किया जाएगा। अभी टेस्ला का आधे से ज्यादा प्रोडक्शन चीन में होता है।
17 मई को केंद्र सरकार के साथ हुई थी मीटिंग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टेस्ला के अधिकारियों की 17 मई को भारत सरकार के अधिकारियों के साथ मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में कंपनी ने भारत में इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की इच्छा जताई थी।
अधिकारियों ने टेस्ला टीम से कहा था कि सरकार डोमेस्टिक वेंडर बेस स्टेब्लिश करने के लिए समय देने को तैयार है, लेकिन टेस्ला को इसके लिए एक कंफर्म टाइम स्लॉट बताना होगा।
क्या टेस्ला को भारत में रियायतें मिलेंगी?
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने फिलहाल टेस्ला को कोई विशेष प्रोत्साहन देने से इनकार किया है। हालांकि, राज्य सरकारों को रियायतें देने की अनुमति है। इसके अलावा, सरकार देश में टेस्ला को अपनी सप्लाई चैन स्टेब्लिश करने तक कंपोनेंट्स पर इम्पोर्ट में रियायतें देने के लिए तैयार है।
सरकार स्मार्टफोन निर्माताओं जैसे एपल के लिए इस तरह के प्रोडक्शन से जुड़ी रियायतें देती है। सरकार ने टेस्ला को भारत में सप्लाई चेन स्टेब्लिश करने के लिए समय-सीमा पर एक रोडमैप प्रस्तुत करने के लिए कहा है। टेस्ला इसकी रिपोर्ट अगले 3 से 6 महीनों में सौंप सकती है।
तीन पॉइंट जो मस्क का इंडिया की तरफ झुकाव के संकेत देते हैं:
- बीते दिनों मस्क ने कहा था कि उन्हें भारतीय खाना पसंद है, खासकर नान के साथ बटर चिकन।
- पिछले महीने कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि मस्क ने ट्विटर पर पीएम मोदी को फॉलो किया है।
- भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने पर मस्क ने कहा था- डेमोग्राफिक्स इज डेस्टिनी।
टेस्ला और सरकार के बीच क्यों नहीं बनी थी बात?
इससे पहले पिछले साल भी टेस्ला ने भारत आने की इच्छा जताई थी, लेकिन तब कंपनी और सरकार के बीच बात नहीं बन पाई थी। टेस्ला ने सरकार से पूरी तरह से असेंबल गाड़ियों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को 100% से घटाकर 40% करने की मांग की थी।
कंपनी चाहती थी कि उसकी गाड़ियों को लग्जरी नहीं बल्कि इलेक्ट्रिक व्हीकल माना जाए, लेकिन सरकार ने कहा था कि दूसरे देशों से इंपोर्ट किए जाने वाले किसी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इंपोर्ट ड्यूटी माफ या कम करने का कोई भी इरादा नहीं है।
सरकार ने कहा था कि अगर टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का कमिटमेंट करती है तो इंपोर्ट पर रियायत देने पर विचार किया जाएगा। लेकिन एलन मस्क चाहते थे कि पहले भारत में कारों की बिक्री की जाए, इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का विचार किया जाएगा।
27 मई 2022 को भी एक ट्वीट में रिप्लाई करते हुए एलन मस्क ने कहा था, ‘टेस्ला ऐसे किसी लोकेशन पर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लगाएगी जहां उसे पहले से कारों को बेचने और सर्विस की परमीशन नहीं है।’ एलन मस्क का यह जवाब तब आया था जब ट्विटर यूजर मधु सुधन वी ने पूछा था- क्या टेस्ला फ्यूचर में भारत में एक प्लांट बना रही है?’
चीन से मैन्युफैक्चरिंग भारत शिफ्ट कर रहीं कंपनियां
अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन से भारत शिफ्ट कर रही है। जियो पॉलिटिकल टेंशन और कोरोना महामारी के बाद एपल समेत अन्य अमेरिकी टेक दिग्गज भी चीन के बाहर अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के विस्तार पर काम कर रहे हैं। अगर टेस्ला और सरकार के बीच बात बन जाती है तो इस लिस्ट में वह भी शामिल हो जाएगी।
मोस्ट वैल्यूएबल ऑटो ब्रांड टेस्ला
टेस्ला 66.2 बिलियन डॉलर (लगभग 5.42 लाख करोड़) ब्रांड वैल्यूएशन के साथ दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटोमोबाइल कंपनी है। टेस्ला ने ये खिताब दो महीने पहले जर्मन ऑटोमोबाइल कंपनी ‘मर्सिडीज-बेंज’ को पछाड़कर हासिल किया था।
ग्लोबल ब्रांड वैल्यूएशन और स्ट्रैटेजी कंसल्टेंसी ब्रांड फाइनेंस की न्यू रिपोर्ट के अनुसार, मर्सिडीज-बेंज का ब्रांड वैल्यूएशन 3% घटकर 58.8 बिलियन डॉलर (लगभग 4.83 लाख करोड़) रह गया है। वहीं, इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर 52.4 बिलियन डॉलर (लगभग 4.31 लाख करोड़) ब्रांड वैल्यूएशन के साथ जापान की टोयोटा है।