राहुल की मानगढ़ यात्रा से सीएम गहलोत और सचिन पायलट की दूरियां हुई उजागर,केंद्रीय नेतृत्व ने दिए व्यापक बदलाव के संकेत !

Jaipur Rajasthan

पाली:-कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की मानगढ़ यात्रा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की आपसी नाराजगी उजागर हो गई। राहुल गांधी ने इस और ध्यान नहीं दिया और  वे मंच से यह संदेश देने में कामयाब  नहीं हो सके कि कांग्रेस में अब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है।  सचिन पायलट ने भी राजनीतिक संदेश स्पष्ट रूप से दिया कि वे सीएम गहलोत की कार्यशैली से नाराज है । उन्होंने राहुल गांधी से पहले मानगढ़ की जनसभा में मंच शेयर नहीं किया। यह बात सही है कि राहुल गांधी की अगवानी सचिन पायलट ने की और वे उन्हीं के साथ दिखाए और उसके बाद भी  डॉ.रघु शर्मा के पास वाली कुर्सी पर बैठे। मानगढ़ के कार्यक्रम आयोजकों ने कहने को तो  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से पहले सचिन पायलट का संबोधन भी कराया। सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी के सामने संबोधन में किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं दिखाया। उन्होंने यही दोहराया कि कांग्रेस राजस्थान में 2023 में अपनी सरकार रिपीट करेगी और 2024 में डबल इंजन की केंद्र की पीएम मोदी की सरकार दो बाहर का रास्ता दिखाने में कामयाब होगी। राहुल गांधी ने इस बार राजस्थान की यात्रा के दौरान ऐसा कोई दिखावा नहीं किया कि सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच में कोई विवाद है। उन्होंने अपनी बात मानगढ़ के मन से रखी और आदिवासियों से यही जताने का प्रयास किया कि उनका परिवार हमेशा उनके साथ है। सीएम गहलोत ने अपने संबोधन में अपने दबदबे को कायम रखने के लिए घोषणाएं की की सरकार ने आदिवासियों के लिए भरपूर योजनाएं दे रखी है। उन्होंने वर्ष 2022 के बजट की घोषणा स्मार्ट मोबाइल और इस वर्ष के बजट में विशेष फूड  पैकेट की शुरुआत राहुल गांधी से करवाई। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि मानगढ़ के विकास के लिए राजस्थान सरकार 100 करोड रुपए की राशि। इसके अलावा उन्होंने ओबीसी का आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की घोषणा भी की।  मानगढ़ की जनसभा में कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का संबोधन नहीं कराना इस रणनीति का हिस्सा है अभी तक पता नहीं चल सका। वैसे तो सीएम गहलोत प्रभारी रंधावा को आगे रखने का काम करते हैं। लेकिन इस बार मानगढ़ की जनसभा में उनको मैं तो नहीं देना कुछ नया संदेश देने का काम सीएम गहलोत कर रहे हैं।  मानगढ़ के कार्यक्रम के बाद अब चर्चाएं जोरों पर होने लगी है कि केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम गहलोत को महत्व देना पहले से कम कर दिया है। यही कारण है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस सरकार की योजनाओं की तारीफ भी की लेकिन सीएम गहलोत को यह दिलासा नहीं दिया कि वर्ष 2023 में कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इन सब बातों से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में कांग्रेस नेतृत्व निश्चित तौर पर राजस्थान में एक नया बदलाव करने के पक्ष में है। मानगढ़ के कार्यक्रम के तत्काल बाद ही केंद्रीय नेतृत्व पॉलिटिकल कमेटी का भी गठन कर दिया। जिसकी जिम्मेदारी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को दी गई है। सीएम गहलोत को अन्य नेताओं की तरह सदस्य बनाया गया है। अब यह पॉलिटिकल  अफेयर कमेटी क्या कुछ भूमिका निभाएगी यह तो आने वाला समय नहीं बता पाएगा।  कांग्रेस की केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम गहलोत को यह तो जता दिया है कि अब निर्णय उनके अनुरूप नहीं होंगे। वर्ष 2023 में कांग्रेस  को जिताने के लिए जो कुछ निर्णय होंगे उसमें सभी को महत्व देने की बात सामने आ रही है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी अब सक्रिय राजनीति में आने का संदेश दे चुके हैं। यही कारण है कि अब कांग्रेस के सार्वजनिक कार्यक्रमों में डॉ.सीपी जोशी विधानसभा अध्यक्ष रहकर  भी वे यह जता रहे हैं कि  अब प्रदेश के सक्रिय राजनीति में आने की इच्छा रखते हैं। यही कारण है कि हाईकमान ने भी प्रदेश में बनने वाली विभिन्न कमेटियों में उन्हें सदस्य की हैसियत दी है। कांग्रेस  केंद्रीय नेतृत्व में प्रदेश में राजनीतिक तौर पर यह संदेश देने में कामयाबी हासिल की है कि इस बार  सीएम गहलोत के चेहरे पर विधानसभा का चुनाव नहीं  लड़ा जाएगा। चुनाव सामूहिक रूप से कांग्रेस लड़कर सत्ता में आने के बाद नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा तय  किया जाएगा।   कांग्रेस संगठन में आए बदलाव के बाद सीएम गहलोत की भूमिका पर क्या कुछ प्रभाव पड़ेगा इसके लिए तो कुछ इंतजार की जरूरत है। विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेसके केंद्रीय नेतृत्व की राजस्थान में गतिविधियां अब तेज होने वाली है। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा घोषित विभिन्न कमेटियों के कार्यक्रम भी शुरू होने का समय आ गया है। सितंबर से सीएम गहलोत के सरकारी कामकाज का महत्व कम होने लगेगा। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की भूमिका किस प्रकार की रहेगी यह भी कुछ दिन में हो जाएगी। अब प्रभारी रंधावा सीएम गहलोत के अनुसार निर्णय करेंगे या नहीं यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा ! राजनीति में यह कहा जाता है कि बदलाव के साथ ही बहुत सारी चीजें अपने आप बदल जाती है। चुनाव में टिकट देने का अधिकार अब किस प्रकार से तय होगा यह भी सामने आएगा। कांग्रेस की केंद्रीय और प्रदेश संगठन में  हलचल तेज है और यह गतिविधि अब और बढ़ जाएगी।