जयपुर :–राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रसे के 91 विधायकों के इस्तीफा प्रकरण पर आज एक फिर राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने इस्तीफों पर निर्णय करने में देरी को लेकर नाराजगी जताई. साथ ही इस मामले में हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिव को नए सिरे से शपथ पत्र पेश करने के आदेश दिया है. चीफ जस्टिस पंकज मिथल व जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है. मामले में विधानसभा की ओर से महाधिवक्ता महेंद्र सिंह सिंहवी ने पैरवी की है. अब इस मामले में अगली सुवाई 30 जनवरी को होगी.
इससे पहले इस्तीफों पर निर्णय करने में देरी को लेकर सीजे पंकज मिथल की खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विधायकों ने 25 सितंबर को इस्तीफे दिए थे. इन पर स्पीकर ने 13 जनवरी को निर्णय किया है. इतनी देरी होना ठीक नहीं है. कोर्ट ने कहा कि युक्तियुक्त समय लगना स्वभाविक है लेकिन तीन माह लगाना उचित नहीं है
वहीं विधानसभा सचिव द्वारा पेश किए गए जवाब पर राजेंद्र राठौड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए विधायकों के इस्तीफे के मामले में संवैधानिक मूल्यों के हनन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 147 (3) के तहत इस्तीफा प्रकरण में कार्रवाई होनी थी. लेकिन अनुच्छेद 174 (3) का इस्तीफा प्रकरण में उल्लंघन हुआ है. हाईकोर्ट में राजेंद्र राठौड़ ने खुद अपने मामले में पैरवी की. लगातार कुछ दिन से हाईकोर्ट में तारीखों पर तारीख आ रही है. राठौड़ नियमित तौर पर कानूनविदों के संपर्क में हैं. उनकी कोर्ट में पैरवी करने की मजबूती से तैयारी चल रही है. आज फिर तारीख मिलने पर वो आत्मविश्वास से लबरेज दिखे.
विधायकों ने मुख्यमंत्री गहलोत के समर्थन में विधानसभा स्पीकर को इस्तीफे सौंप दिए थे:
बता दें, पिछले साल 25 सितंबर को कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में विधानसभा स्पीकर को इस्तीफे सौंप दिए थे. हालांकि, अब कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए हैं. विधायकों के इस्तीफे प्रकरण में विधानसभाअध्यक्ष की ओर से कोई फैसला नहीं लेने पर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से दायर याचिका पर आज फिर राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अब इस मामले में अगली सुवाई 30 जनवरी को होगी