‘राजस्थान के बाहर आय़ुष्मान योजना में नहीं हो रहा इलाज’:निर्दलीय विधायक बोले-बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए दिल्ली,गुजरात व अन्य राज्यों में जाते हैं

Jaipur Rajasthan

विधानसभा में आज चिंरजीवी योजना के बाद आयुष्मान योजना का मुद्दा भी उठा। निर्दलीय विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने स्थगन प्रस्ताव के लिए आय़ुष्मान योजना का मुद्दा उठाया। हालांकि उनके स्थगन प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली। स्थगन प्रस्ताव की विषय वस्तु पर बोलते हुए चंद्रभान सिंह आक्या ने कहा कि आज मुख्यमंत्री चिंरजीवी योजना को आयुष्मान के साथ जोड़कर चलाया जा रहा हैं।

चंद्रभान सिंह आक्या ने कहा- आयुष्मान योजना में एमओयू नहीं होने के कारण प्रदेश के बाहर इलाज के लिए जाने वाले मरीजों को योजना के तहत इलाज नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए दिल्ली, गुजरात व अन्य राज्यों में जाते हैं। लेकिन उन मरीजों को आयुष्मान योजना में इलाज नहीं मिल रहा हैं।उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द आयुष्मान योजना के तहत एमओयू किया जाए। इससे प्रदेश के बाहर भी राजस्थान के मरीजों को आयुष्मान योजना के तहत इलाज मिल सके।

बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा।

खनन अभियान के नाम पर पुलिस कर रही ज्यादती
वहीं, बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने भी आज स्थगन प्रस्ताव के जरिए बूंदी जिले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अवैध खनन के संबंध में जो अभियान चलाया जा रहा है। उस अभियान में बूंदी पुलिस बिना खनन विभाग के अधिकारियों के यह तय कर लेती है कि कहां अवैध खनन हो रहा है और कहां नहीं।

बूंदी पुलिस अधीक्षक की ओर से 100 दिवसीय कार्ययोजना के अंतर्गत एक प्रेसनोट जारी करके बताया गया कि उन्होंने अवैध खनन कर रहे वाहनों को जब्त किया हैं। इस गलत कार्रवाई के खिलाफ जब जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाया तो उन्हीं वाहनों को लेकर एक दूसरा प्रेसनोट जारी किया जाता हैं। जिसमें कहा जाता है कि यह वाहन लावारिस अवस्था में मिले हैं। इसलिए इन्हें जब्त किया गया हैं।

उन्होंने कहा कि अभियान के नाम पर पुलिस लगातार ज्यादती कर रही हैं। ऐसे में केवल अभियान ही नहीं चलाया जाए। बल्कि उसकी मॉनिटरिंग भी की जाए।

बाड़मेर-जैसलमेर के 73 गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित
विधानसभा में आज निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने स्थगन प्रस्ताव की विषय वस्तु पर बोलते हुए कहा कि आज भी बाड़मेर-जैसलमेर के 73 गांव ऐसे हैं। जो 1981 के नोटिफिकेशन के कारण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। यहां किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। गांवों में डामर की सड़क नहीं है। चिकित्सा सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया हैं। ऐसे में हमारी मांग है कि सरकार के स्तर पर मंत्री समूह गठित किया जाए। जो इन गांवों का दौरा करके यथास्थिति देखें।