कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्व मौजूद हैं, हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये लोग पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। 8 नवंबर को कनाडाई संसद भवन में आयोजित दिवाली समारोह में बोलते हुए ट्रूडो ने कहा कि जैसे कनाडा में कई हिंदू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं, वैसे ही खालिस्तान समर्थक भी कुछ लोगों के विचार हैं, लेकिन ये पूरी कनाडाई सिख या हिंदू समाज की आवाज नहीं हैं।
यह बयान तब आया है जब भारत ने आरोप लगाया था कि कनाडा खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण देता है। इससे पहले, कनाडा के प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इन आरोपों को नकारा था, लेकिन अब ट्रूडो का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कनाडा ने बंद किया स्टूडेंट डायरेक्ट वीजा प्रोग्राम
कनाडा ने 8 नवंबर से स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) वीजा प्रोग्राम को बंद कर दिया है। यह प्रोग्राम 2018 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य विशेष 14 देशों के छात्रों को जल्दी वीजा देने का था। भारत सहित पाकिस्तान, चीन, मोरक्को जैसे देशों के छात्र इस प्रोग्राम का लाभ उठा रहे थे। कनाडा सरकार ने इस कदम को अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने की रणनीति का हिस्सा बताया है। अब, सभी छात्रों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया समान होगी।
कनाडा में खालिस्तान समर्थकों का हमला
कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में 3 नवंबर को खालिस्तान समर्थकों ने एक हिंदू मंदिर परिसर में हमला किया था, जिसमें हमलावरों के हाथों में खालिस्तानी झंडे थे और उन्होंने श्रद्धालुओं पर लाठी-डंडों से हमला किया। इस घटना में कनाडाई पुलिस भी विवादों में घिरी, क्योंकि उसने हमला करने वाले खालिस्तान समर्थकों के साथ ही मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं के साथ भी मारपीट की थी। इस हमले की कड़ी निंदा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, साथ ही उन्होंने कनाडा सरकार से न्याय की उम्मीद जताई थी।
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव
भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव पिछले एक साल से लगातार बढ़ता जा रहा है। इस विवाद की शुरुआत जून 2023 में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद हुई थी, जिसके संबंध में कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारतीय एजेंसी के हाथ होने का आरोप लगाया था। इसके बाद, 13 अक्टूबर को ट्रूडो ने भारतीय राजनयिकों पर निज्जर हत्याकांड में शामिल होने का आरोप लगाया, जिससे दोनों देशों के संबंधों में और खटास आई।
भारत ने कनाडा के इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं। भारत ने इसके विरोध में अपने 6 राजनयिकों को वापस बुला लिया, जबकि कनाडा ने भी भारत के 6 राजनयिकों को निष्कासित किया। इस कूटनीतिक विवाद के बीच दोनों देशों के रिश्ते और अधिक जटिल हो गए हैं।
भारत का आरोप: वोट बैंक की राजनीति
भारत ने यह भी आरोप लगाया है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने राजनीतिक लाभ के लिए भारत विरोधी विचारधारा का समर्थन कर रहे हैं, विशेष रूप से खालिस्तान समर्थक तत्वों के जरिए। भारत का कहना है कि ट्रूडो ने अपने देश में रह रहे भारतीयों और सिखों के वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए इन विवादों को हवा दी है।
कनाडा और भारत के बीच बढ़ते कूटनीतिक विवादों ने दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा असर डाला है, और यह स्थिति आने वाले समय में और गंभीर हो सकती है।