टोक्यो:-जापान में सोमवार को 7.4 तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद यहां सुनामी आ गई। वाजिमा शहर में करीब 4 फीट ऊंची (1.2 मीटर) लहरें उठी हैं। जापान के वक्त के मुताबिक, यह ऊंची लहरें शाम 4.21 बजे दिखीं। कुछ जगहों पर एक मीटर से कम ऊंचाई की लहरें नजर आई हैं।
एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि 5 मीटर (16 फीट) ऊंची लहरें उठ सकती हैं। कोस्टल एरिया में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कहा गया है। फिलहाल किसी के मारे जाने की खबर नहीं है।
वहीं, वाजिमा शहर में एक बिल्डिंग ढहने की भी खबर है। इसके मलबे मे 6 लोग दबे हैं। इसी शहर के 35 हजार घरों में बिजली नहीं है। इधर, नॉर्थ कोरिया और रूस ने अपने सखालिन आइलैंड में अलर्ट जारी किया है।
कैसे तय होता है कि ये सुनामी है या नहीं
जापान के ‘सुनामी वॉर्निंग सिस्टम’ के मुताबिक- अगर भूकंप के बाद सुनामी की एडवाइजरी या अलर्ट जारी होता है और इसके बाद समंदर में 1 मीटर ऊंची लहरें उठती हैं तो इसे सुनामी कैटेगरी में रखा जाता है। इनकी ऊंचाई बाद में 3 से 5 मीटर हो सकती है। अगर 5 मीटर तक लहरें उठती हैं तो इसे ‘मेजर सुनामी’ कैटेगरी में रखा जाता है।
अब तक 42 आफ्टरशॉक्स आए
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक भूकंप इशिकावा प्रांत के अनामिजु शहर में आया। इसका केंद्र धरती से 10 किलोमीटर नीचे था। भारतीय समय के मुताबिक दोपहर 12:40 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके 8 मिनट बाद ही 6.2 तीव्रता का पहला आफ्टर शॉक रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद 5.2 तीव्रता का दूसरा आफ्टर शॉक रिकॉर्ड किया गया। अब तक कुल 42 आफ्टरशॉक्स आए हैं। सभी की तीव्रता 3.4 से 4.6 के बीच रही।
मरीजों तक नहीं पहुंच पा रहे डॉक्टर
भूकंप में घायल हुए लोगों को इलाज मिलना मुश्किल हो रहा है। इसकी वजह ये है कि भूकंप की वजह से ज्यादातर सड़कें टूट चुकी हैं और डॉक्टर्स प्रभावित जगहों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक- जापान की एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर्स अब डॉक्टर्स को प्रभावित इलाकों में पहुंचा रहे हैं। जरूरी सामान पहुंचाने में भी इसी वजह से दिक्कत आ रही है।
भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया
भूकंप के बाद सुनामी का खतरा देखते हुए इंडियन एम्बेसी ने इमरजेंसी नंबर जारी किए हैं। ये इस तरह हैं : + 81-80-3930-1715, + 81-70-1492-0049, + 81-80-3214-4734, + 81-80-6229-5382, + 81-80-3214-4722।
फुकुशिमा प्लांट पर पैनी नजर
जापानी मीडिया के मुताबिक फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट पर पैनी नजर रखी जा रही है। दरअसल, जापान में मार्च 2011 में 9 तीव्रता वाले भूकंप के कारण जबर्दस्त सुनामी आई थी। तब उठी सुनामी की लहरों ने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को तबाह कर दिया था।
इसे पर्यावरण को नुकसान के लिहाज से बड़ी घटना माना गया था। तब समुद्र में उठी 10 मीटर ऊंची लहरों ने कई शहरों में तबाही मचाई थी। इसमें करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी।
रिंग ऑफ फायर पर बसा है जापान
जापान भूकंप के सबसे ज्यादा सेंसिटिव एरिया में है। यहां भूकंप आते रहते हैं, क्योंकि ये दो टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन के पास स्थित है। इशिकावा प्रान्त, जहां भूकंप आया है, महासागर के चारों ओर भूकंपीय फॉल्ट लाइनों की एक घोड़े की नाल के आकार की श्रृंखला- रिंग ऑफ फायर के करीब स्थित है।
रिंग ऑफ फायर ऐसा इलाका है जहां कॉन्टिनेंटल प्लेट्स के साथ ओशियनिक टेक्टॉनिक प्लेट्स भी मौजूद हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है। इनके असर से ही सुनामी आती है और वोल्केनो भी फटते हैं।
दुनिया के 90% भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर में आते हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया में जितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं, उनमें से 75% इसी क्षेत्र में हैं। 15 देश- जापान, रूस, फिलीपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, कनाडा, अमेरिका, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका, पेरू, इक्वाडोर, चिली, बोलिविया रिंग ऑफ फायर की जद में हैं।
दुनिया में हर साल 20 हजार भूकंप आते हैं
हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इंफॉर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है। इसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान ज्यादा होता है। भूकंप कुछ सेकेंड या कुछ मिनट तक रहता है। अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।