सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रेप पीड़ित महिलाओं के साथ किए जाने वाले टू फिंगर टेस्ट पर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने इसे पूरी तरह से गलत करार दिया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2013 में बैन के बावजूद यौन शोषण पीड़िताओं का टू फिंगर टेस्ट करना उसे फिर से मानसिक और शारीरिक आघात पहुंचाता है।
टू-फिंगर टेस्ट मामले में सोमवार को सुनवाई करते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों को आदेश दिया कि वे टू-फिंगर टेस्ट को सलेबस से हटा दें, अदालत ने कहा कि टू फिंगर टेस्ट समाज की पितृसत्तात्मक मानसिकता पर आधारित है, वैसे इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि टू-फिंगर टेस्ट करने और इसमें शामिल होने वालों को कदाचार का दोषी ठहराया जाएगा।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि रेप पीड़िता के साथ कैसा व्यवहार किया जाए, इसे लेकर एक गाइडलाइन जारी की जाए. साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों को ऐसे मामलों में और ज्यादा संवेदनशील बनने की जरूरत है।