प्रदेश में राज्यसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी प्रत्याशी व केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल किया। बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व ने मंगलवार को ही बिट्टू को राजस्थान से राज्यसभा प्रत्याशी घोषित किया था।
सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा प्रस्तावक बने। रवनीत सिंह बिट्टू ने नामांकन के लिए चार सेट किए दाखिल। वहीं, निर्दलीय विधायक सहित 40 विधायक प्रस्तावक और अनुमोदक बने।
राजस्थान से राज्यसभा जाना लगभग तय है, क्योंकि कांग्रेस इन चुनावों में अपना प्रत्याशी नहीं उतार रही है। ऐसे में बिट्टू की निर्विरोध जीत तय मानी जा रही है।
रवनीत सिंह बिट्टू लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। बिट्टू पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं। बिट्टू मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री हैं।
बिट्टू बोले- पगड़ी पर दाग नहीं लगने दूंगा
नामांकन के बाद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि राजस्थान का यह कर्ज मेरे ऊपर रहेगा। मैं राजस्थान और पंजाब की पगड़ी पर कभी कोई दाग नहीं लगने दूंगा।
उन्होंने कहा कि राजस्थान से दूसरी पार्टियों ने प्रत्याशी खड़ा नहीं किया यह बीजेपी की बहुत बड़ी जीत है। पंजाब मेरी जन्मभूमि और कर्म भूमि दोनों रहे हैं और राजस्थान भी मेरी कर्म भूमि हो गई है।
रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि मेरे पास जो भी मंत्रालय हैं। उनमें राजस्थान के लिए कोई कमी नही छोड़ी जाएगी। राजस्थान में बड़ी मात्रा में फसलों की पैदावार होती है। उन फसलों की ब्रांडिंग करना, उनकी प्रोसेसिंग करना मेरे मंत्रालय के जिम्मे है। ऐसे में मंत्रालय की जो भी योजनाएं हैं, उनका लाभ राजस्थान के छोटे शहरों और गांव-गांव तक पहुंचाने का काम हम शुरू करेंगे।
लोकसभा में हार का सामना किया
लुधियाना से 2 बार सांसद रह चुके रवनीत बिट्टू लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पोते और पूर्व मंत्री तेज प्रकाश सिंह के बेटे हैं।
भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें लुधियाना से टिकट दिया, लेकिन उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से 20 हजार 942 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी भाजपा ने पंजाब से किसी और को न चुनकर मोदी 3.0 सरकार में बिट्टू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया है। इसके बाद उनका राज्यसभा में जाकर सांसद के तौर पर शपथ लेना बेहद जरूरी है।
हरियाणा में विरोध के बाद राजस्थान का रुख
राजस्थान के साथ हरियाणा के रोहतक से दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद वहां भी सीट खाली हो गई थी। इस सीट के लिए पहले रवनीत बिट्टू का नाम सामने आया था, लेकिन विरोध बढ़ता देख भाजपा अब रवनीत बिट्टू को राजस्थान से राज्यसभा भेज रही है।
जीत के लिए 99 विधायकों के वोट चाहिए, कांग्रेस के पास मात्र 66 विधायक
राज्यसभा के सदस्यों को विधायक चुनते हैं। राज्यसभा के चुनाव में अपनाए जाने वाले फॉर्मूले के हिसाब से जितनी सीटें खाली होती हैं, उसमें एक जोड़कर जितनी विधानसभा सीटें होती हैं, उसमें भाग दिया जाता है। भाग के परिणाम में एक जोड़ा जाता है। इससे जो रिजल्ट आता है, उतने वोट एक सीट पर जरूरी होते हैं। राजस्थान में 1 सीट पर चुनाव होगा। इसमें 1 जोड़ेंगे तो 2 होंगे।
राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन 6 सीटें खाली हैं। ऐसे में 194 में 2 का भाग देकर रिजल्ट में 1 जोड़ेंगे तो संख्या 98 आएगी। इस तरह राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए 98 वोट चाहिए। बीजेपी के पास 114 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास मात्र 66 विधायक हैं। संख्या बल के हिसाब से बीजेपी की जीत तय है।