वैदिक पञ्चाङ्ग 19 अक्टूबर, 2022

Jyotish/Religion Religion

दिनांक – 19 अक्टूबर 2022
🌤️ दिन – बुधवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – नवमी दोपहर 02:13 तक तत्पश्चात दशमी
🌤️ नक्षत्र – पुष्य सुबह 08:02 तक तत्पश्चात अश्लेशा
🌤️ योग – साध्य शाम 05:33 तक तत्पश्चात शुभ
🌤️ राहुकाल – दोपहर 12:23 से दोपहर 01:50 तक
🌞 सूर्योदय – 06:36
🌦️ सूर्यास्त – 18:10
👉 दिशाशूल – उत्तर दिशा में
🚩 *व्रत पर्व विवरण –
🔥 *विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~🌞

🌷 दीपावलीः लक्ष्मीप्राप्ति की साधना 🌷
➡️ 24 अक्टूबर 2022 सोमवार को दीपावली है।
🎆 दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।
🔥 मिट्टी के कोरे दिये में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए। दिये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दिये में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।
🙏🏻 लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् भाईदूज तक एक स्वच्छ कमरे में अगरबत्ती या धूप (केमिकल वाली नहीं-गोबर से बनी) करके दीपक जलाकर, शरीर पर पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की दो मालायें जपें।
🌷 ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद् महै।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।
🍃 अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते को तोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।
🙏🏻 क्या करें क्या न करें पुस्तक से
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞

🌷 धनतेरस 🌷
➡️ 22 अक्टूबर 2022 शनिवार को धनतेरस हैं |
‘स्कंद पुराण’ में आता है कि धनतेरस को दीपदान करनेवाला अकाल मृत्यु से पार हो जाता है | धनतेरस को बाहर की लक्ष्मी का पूजन धन, सुख-शांति व आंतरिक प्रीति देता है | जो भगवान की प्राप्ति में, नारायण में विश्रांति के काम आये वह धन व्यक्ति को अकाल सुख में, अकाल पुरुष में ले जाता है, फिर वह चाहे रूपये – पैसों का धन हो, चाहे गौ – धन हो, गजधन हो, बुद्धिधन हो या लोक – सम्पर्क धन हो | धनतेरस को दिये जलाओगे …. तुम भले बाहर से थोड़े सुखी हो, तुमसे ज्यादा तो पतंगे भी सुख मनायेंगे लेकिन थोड़ी देर में फड़फड़ाकर जल – तप के मर जायेंगे | अपने – आपमें, परमात्मसुख में तृप्ति पाना, सुख – दुःख में सम रहना, ज्ञान का दिया जलाना – यह वास्तविक धनतेरस, आध्यात्मिक धनतेरस है |
🙏🏻 स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से

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