भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के रिटायरमेंट होने के बयान से पूरे देश में मचे बवाल से उनका राजनीतिक भविष्य नहीं बदल जाए। इसी के चलते उन्होंने अपने बयान को बदल दिया और कहा कि मैं कहीं भी नहीं जा रही हूं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि मैंने झालरापाटन से नॉमिनेशन कर दिया है और सक्रिय राजनीति में बनी रहूंगी। उन्होंने कहा कि कोई गलतफहमी में नहीं रहे और मीडिया ने मेरे शब्दों को पड़क कर गलत पेश किया है।
शनिवार को नामांकन भरने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आप लोग शब्द पकड़ते हो, एक चीज स्पष्ट करना चाहूंगी, यह झालावाड़ जो की मेरा परिवार है और मेरा यहां से मात्र राजनीतिक संबंध नहीं है, मैंने राजनीति के 34 साल अपनों के बीच गुजारे हैं और मेरे हर कोई से रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को दुष्यंत का भाषण सुनकर और उसके प्रति लोगों का समन्वय देखकर, सब लोगों भावना को देखकर मुझे बड़ी खुशी हुईऔर मैंने मां के नाते जो अच्छा लगावही कह दिया। मैं स्पष्ट कर दूं, मैं कहीं नहीं जा रही हूं, अभी नामांकन करके निकल रही हूं। रिटायरमेंट की बात अपने ध्यान में मत रखना।
शुक्रवार को कहा था कि मेरे पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह को सुनकर मुझे लगा कि जनता ने उन्हें अच्छी तरह से सिखा दिया है। कुछ प्यार से और कुछ आंख दिखाकर। आपने उसे ऐसा बना दिया है कि अब मुझे उसके पीछे पड़ने की जरूरत ही नहीं है। वो आप लोगों ने ही कर दिया है। इसके साथ ही जो पार्टी के विधायक भी हैं, मुझे विश्वास है कि मुझे उन पर निगाह रखने की कोई जरूरत नहीं है। वो सब ऐसे लोग हैं, चाहे जिलाध्यक्ष हों, चाहें दूसरे कार्यकर्ता। ये सब ऐसी पॉजिशन में आ गए हैं कि पीछे पड़ने की जरूरत नहीं है, वे आप लोगों के काम वैसे ही करेंगे।
पूर्व सीएम राजे ने झालावाड़ की जनता का शुक्रिया अदा करते हुए कहा – झालावाड़ को हम हमेशा याद रखेंगे। एक समय था हम लोग पढ़ाई, इलाज के लिए कोटा भागते थे, जयपुर भागते थे। आज झालावाड़ में मेडिकल कॉलेज है। पूर्व सीएम राजे ने कहा झालावाड़ में मेरा 10 वां नामांकन है। पहला नामांकन नवंबर 1989 में सांसद के लिए भरा। लगातार 5 बार सांसद और 4 बार विधायक चुनी गईं।
मेरे पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह को लगातार 4 बार सांसद बनाया। झालावाड़ के आशीर्वाद से वर्ष 1998 में केंद्र में विदेश राज्यमंत्री बनीं। उसके बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यालय में भी मैंने काम किया। वर्ष 2003 और 2013 में प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। जब-जब भी मैंने नामांकन भरा, झालावाड़ वासियों ने मुझसे एक ही बात कही, आपका काम नामांकन भरने का है, बाकी काम हमारा है। अब यहां से आप नहीं, हम चुनाव लड़ रहे हैं।