जयपुर:-प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। नेताओं की नाराजगी आखिर किस कारणों से है यह हर कोई जानना चाहता है। हाल ही में प्रदेश भाजपा कार्यालय पर कुछ नेताओं की वापसी हुई और कुछ सेवानिवृत्तअधिकारियों ने भाजपा में राजनीति के लिए प्रवेश किया। इस कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बनाने के लिए भाजपा प्रभारी अरुण सिंह को विशेष तौर पर दिल्ली से बुलाया गया लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस कार्यक्रम से क्यों दूर रही इसका किसी के पास जवाब नहीं है।
कहने को तो प्रभारी अरुण सिंह ने स्पष्टीकरण देते हुए कह दिया कि कोर कमेटी के सभी सदस्यों को बुलानाआवश्यक नहीं है। लेकिन उनका यह जवाब किसी को सहज नहीं लग रहा। अब चर्चा जोरों पर है कि प्रदेश भाजपा में विधानसभा के चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाली पूर्व सीएम वसुंधरा राजे लाडनू में आयोजित हुई भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में क्यों नहीं गई। कार्यसमिति की बैठक में वसुंधरा राजे के अधिकार नेता मौजूद रहे उनकी नेता के नहीं आने से उनके समर्थित नेता निराश नजर आए। कहने को तो भाजपा को चुनावी तैयारियों के लिए रणनीति पर विचार और कुछ कार्यक्रम भी घोषित किए गए।
सवाल यह उठता है कि आखिर वसुंधरा राजे इस महत्वपूर्ण आयोजन में क्यों नहीं शामिल हुई। कार्यक्रम में प्रभारी अरुण सिंह, छत्तीसगढ़ चुनाव समिति के प्रभारी और पूर्व राष्ट्रीय नेता ओम प्रकाश माथुर, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय विधि राज्यमंत्री अर्जुन लाल मेघवाल, केंद्रीय कृषि कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर, राष्ट्रीय प्रवक्ता और जयपुर ग्रामीण से सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह सहित विभिन्न नेता मौजूद रहे। अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए विभिन्न नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत कर अपनी राय भी प्रकट की।
आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला अभी भाजपा में भी तेज हो गया है। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नागौर का दौरा कर चुकी हैं और उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और सांसद हनुमान बेनीवाल पर भी सीधे हमले किए थे। सत्ता में आने के लिए उन्होंने आम लोगों से कुछ वादे भी करना शुरू कर दिया है। अब संगठन में उन्हें महत्व नहीं देना कई सवाल खड़े करता है। फिलहाल चर्चाएं जोरों पर है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पहले सुभाष महरिया को शामिल करने के कार्यक्रम में जयपुर में होने के बावजूद क्यों नहीं आई और फिर भाजपा की कार्यसमिति में नहीं आना पार्टी की एकता पर प्रश्नचिन्ह जरूर लगाता है।
अब चाहे जो भी स्पष्टीकरण दिया जाए उससे यह साफ होगा की पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा और आने वाले समय में यही स्थिति रही तो फिर क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा। यह भी चर्चा जोरों पर है कि भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष तो सीपी जोशी को बना दिया है लेकिन कामकाज की आजादी अभी तक नहीं मिल पाई है। संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा अपनी मर्जी चला कर उन्हें सक्रिय भूमिका निभाने से रोक रहे हैं।
आखिर संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा को किन कारणों से रखा है यह कोई बताने को तैयार नहीं है लेकिन भाजपा प्रभारी राष्ट्रीय संगठन महासचिव और सांसद अरुण सिंह ही बता सकते हैं कि बदलाव की जरूरत है या नहीं या पार्टी संगठन फिर इसी तरह विधानसभा चुनाव तक चलता रहेगा। भाजपा गुटों में बटी पार्टी है। गुटबाजी को दूर करने के लिए सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति को सही थे मायने में प्रदेश की जनता तक पहुंचाने के लिए अब संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा को हटाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में अभी दबदबा उन्हीं का है वे अपने कार्यालय में किसी दूसरे की एंट्री नहीं करने देते भाजपा कार्यालय में पहले की तरह साम्राज्य स्थापित है इसे कैसे दूर किया जाए इसके निर्णय की जरूरत तो है लेकिन हिम्मत कौन दिखाएं !
अब चाहे कुछ भी कहो लेकिन भाजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए कुछ निश्चित बदलाव करने की जरूरत है समय रहते यह कुछ हुआ तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में पार्टी की सक्रियता में तेजी आएगी नहीं तो फिर पुराना ढर्रा चलता रहा तो फिर कार्यकर्ताओं और नेताओं में नया जोश लाना मुश्किल और चुनौती भरा काम होगा । केंद्रीय नेतृत्व को समय पर जागने की जरूरत है नहीं तो फिर बदलाव का कोई अर्थ नहीं रहेगा !