दिनांक – 21 अक्टूबर 2022
🌤️ दिन – शुक्रवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079 (गुजरात-2078)
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – एकादशी शाम 05:22 तक तत्पश्चात द्वादशी
🌤️ नक्षत्र – मघा दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
🌤️ योग – शुक्ल शाम 05:48 तक तत्पश्चात ब्रह्म
🌤️ राहुकाल – सुबह 10:56 से दोपहर 12:23 तक
🌞 सूर्योदय – 06:37
🌦️ सूर्यास्त – 18:08
👉 दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
+🚩 व्रत पर्व विवरण – रमा उएकादशी, गोवत्स द्वादशी, वाघ बारस, ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माॅ महगीबाजी का महानिर्वाण दिवस
🔥 विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~🌞
🌷 रमा एकादशी 🌷
🙏🏻 रमा एकादशी ( यह व्रत बड़े – बड़े पापों को हरनेवाला, चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है |
🙏🏻 स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से
🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
🌷 धनतेरस 🌷
➡️ 22 अक्टूबर 2022 शनिवार को धनतेरस है ।
🙏🏻 कार्तिक कृष्ण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन) त्रयोदशी के दिन को धनतेरस कहते हैं । भगवान धनवंतरी ने दुखी जनों के रोग निवारणार्थ इसी दिन आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन सन्ध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हे इस मंत्र के साथ दीप दान करना चाहिये-
🌷 मृत्युना पाशदण्डाभ्याम् कालेन श्यामया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥
🔥 (त्रयोदशी के इस दीपदान के पाश और दण्डधारी मृत्यु तथा काल के अधिष्ठाता देव भगवान देव यम, देवी श्यामला सहित मुझ पर प्रसन्न हो।)