नई दिल्ली:-हिजाब को लेकर कर्नाटक सरकार एक कड़ा फैसला। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने शुक्रवार को बेहद सख्त लहजे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि, हिजाब पहनकर छात्राओं को परीक्षा केंद्रों के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्य में 9 मार्च से दूसरी पीयूसी (कक्षा 12) की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं। पत्रकारों से बात करते हुए कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने कहा कि, यह स्पष्ट किया गया है कि सभी छात्रों को यूनिफॉर्म पहनकर परीक्षा में शामिल होना चाहिए। हिजाब इसका हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग हिजाब पहनकर परीक्षा देना चाहते हैं, उन्हें परीक्षा हॉल में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। मंत्री नागेश ने आगे दावा किया कि हिजाब प्रतिबंध के बाद परीक्षा में बैठने वाले मुस्लिम छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, हिजाब पर प्रतिबंध के बाद, अधिक संख्या में मुस्लिम छात्राएं परीक्षा में शामिल हुईं और मुस्लिम छात्राओं के नामांकन में वृद्धि हुई है।
सुप्रीम कोर्ट करेगा होली के बाद सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में लंबित हिजाब मामले पर होली की छुट्टी के बाद सुनवाई होने की संभावना है। कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार दिया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, होली के बाद इस केस की सुनवाई करेंगे। याचिका में ये भी गुहार लगाई गई थी कि, छात्राओं को हिजाब पहनकर परीक्षा की इजाजत दी जाए। वो पहले ही एक साल खराब कर चुकी हैं। इस मामले में अंतरिम राहत पर विचार किया जाए। दरअसल अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की बेंच ने बटा हुआ फैसला सुनाया था। दोनों जजों की राय अलग होने के बाद मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया था। तब से तीन जजों की बेंच का गठन नहीं किया गया है। कई छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुईं क्योंकि उन्हें हिजाब पहनने और परीक्षा लिखने की अनुमति नहीं थी।
कर्नाटक में हिजाब संकट अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना
कर्नाटक में हिजाब संकट अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया क्योंकि यह कानून और व्यवस्था की समस्या और सांप्रदायिक मुद्दे में बदल गया। हिंदू कार्यकर्ता और अल्पसंख्यक समूह टकराव की स्थिति में आ गए। संकट का छात्रों के मानस पर भी गहरा प्रभाव पड़ा और उन्हें परिसरों में धर्म के आधार पर विभाजित कर दिया गया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब आवेदन खरिज किए
कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस संबंध में छात्रों के आवेदनों को खारिज कर दिया है और गणवेश पर सरकार के आदेश को बरकरार रखा है। आगे यह भी कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।