इकोनॉमिक सर्वे-सिलेंडर सस्ता होने से ईंधन महंगाई घटी:GDP ग्रोथ 7% रहने का अनुमान,हर साल 78.5 लाख नौकरियों की जरूरत

Business Front-Page National

नई दिल्ली:-इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि सरकार ने LPG, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की। इससे रिटेल ईंधन महंगाई दर FY24 में नीचे बनी रही। वहीं इसमें वित्त वर्ष 2025 के लिए GDP ग्रोथ 6.5 से 7% रहने का अनुमान लगाया गया है।

इकोनॉमिक सर्वे में ये भी कहा गया है कि बढ़ती वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए सालाना लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने आज यानी, सोमवार 22 जुलाई को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया।

वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग हर साल केंद्रीय बजट से ठीक पहले संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करता है। इसे संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है। सर्वे में पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए डेवलपमेंट की रिव्यू होता है।

इकोनॉमिक सर्वे से जुड़ी बड़ी बातें

  • ग्लोबल एनर्जी प्राइस इंडेक्स में FY24 में गिरावट आई। सरकार ने LPG, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की। इससे रिटेल ईंधन महंगाई दर FY24 में नीचे बनी रही। अगस्त 2023 में, LPG कीमतों में 200 रुपए/सिलेंडर की कटौती की गई थी। वहीं मार्च 2024 में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए/लीटर की कटौती की।
  • एग्रीकल्चर सेक्टर को खराब मौसम, घटते जलाशयों और फसलों के नुकसान के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसका असर कृषि उत्पादन और खाद्य कीमतों पर पड़ा। इससे वित्त वर्ष 24 में खाद्य महंगाई बढ़कर 7.5% हो गई। 2023 में ये 6.6% थी।
  • पीएम-सूर्य घर योजना से 30 गीगावॉट सौर कैपेसिटी जुड़ने की उम्मीद है। इस पहल का उद्देश्य सोलर वैल्यू चैन में लगभग 17 लाख नौकरियां पैदा करना है। पीएम-सूर्य घर योजना इस साल फरवरी में 75,021 करोड़ रुपए की लागत के साथ शुरू की गई थी।
  • इंडियन इकोनॉमी को बढ़ती वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए नॉन-फार्म सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। सर्वे में ये भी बताया गया है कि 65% आबादी 35 वर्ष से कम है, फिर भी कई लोगों के पास आवश्यक स्किल का अभाव है। अभी, केवल 51.25% युवा ही रोजगार योग्य है।
  • रिटेल इन्वेस्टर्स के फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में बढ़ते पार्टिसिपेशन को लेकर इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि इस तरह की स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग का भारत जैसे विकासशील देश में कोई स्थान नहीं है। इसमें कहा गया है कि ये पूरी इकोनॉमी के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • FY26 तक राजकोषीय घाटा GDP का 4.5% या उससे कम होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में पेश अंतरिम बजट में भी ये बात बताई थी। वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा 0.7% कम होकर 5.1% रहने का अनुमान लगाया गया था।
  • वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5 से 7% तक बताया गया है। वहीं इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत की रियल GDP 8.2% की दर से बढ़ी। ये लगातार तीसरा साल है जब GDP 7% से ज्यादा दर्ज की गई।

इकोनॉमिक सर्वे में आमतौर पर दो वॉल्यूम होते हैं:
इकोनॉमिक सर्वे, वॉल्यूम I: 
वैचारिक और विश्लेषणात्मक मुद्दों से जुड़ा है।
इकोनॉमिक सर्वे, वॉल्यूम II: भारत की इकोनॉमी की स्थिति से जुड़ा है।

  • इकोनॉमिक सर्वे में आने वाले साल के लिए बजट प्रायोरिटीज की जानकारी होती है।
  • डेवलपमेंट रिव्यू के साथ, उन सेक्टर्स को भी हाइलाइट करता है जिन पर जोर देने की जरूरत।
  • सर्वे में आसपास हो रहे कई इश्यू का एनालिसिस रहता है और उनके कारण भी बताता है।
  • इकोनॉमिक सर्वे चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) के गाइडेंस में कंपाइल किया जाता है।
  • 1950-51 से 1964 तक बजट के साथ पेश होता था। अब बजट से पहले पेश किया जाता है।

वित्त वर्ष 2024 में GDP ग्रोथ 8.2% रही
सरकार ने 31 मई को पूरे साल यानी, वित्त वर्ष 2024 के लिए GDP का प्रोविजनल एस्टिमेट जारी किया था। FY24 में जीडीपी ग्रोथ 8.2% रही थी। FY23 में GDP ग्रोथ 7% थी। वहीं RBI ने एक महीने पहले FY25 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 7.2% किया था। RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 का महंगाई अनुमान 4.5% पर बरकरार रखा था।

इकोनॉमिक सर्वेक्षण पर चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंथा नागेश्वरन की 5 बड़ी बातें…

  • हम निराशावादी नहीं हैं, हम विकास के बारे में आशावादी हैं। लेकिन हम चुनौतियों के बारे में सजग हैं।
  • मौजूदा ग्लोबल माहौल के बीच 7% GDP ग्रोथ हासिल करने के लिए सजगता ज्यादा जरूरी।
  • कैपिटल मार्केट में रिटेल निवेशकों की भागेदारी बाजारों के लिए बफर के रूप में काम किया।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोजगार बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। लेकिन हमें रोजगार पर इसके प्रभाव के बारे में सावधान रहने की जरूरत है।
  • भारत को चीन के साथ बढ़ते ट्रेड-डेफिसिट कम करने के लिए गूड्स और कैपिटल इंपोर्ट के बीच सही संतुलन बनाने की जरूरत है।