जयपुर:-25 जून यानी आपातकाल का दिन. इस दिन को भाजपा काला दिवस के रूप में मना रही है. देश में वर्ष 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था. आपातकाल की 49 वीं वर्षगांठ आज है. राजस्थान के साथ ही देश के अन्य राज्यों में भी भाजपा की ओर से आपातकाल की बरसी के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. संगोष्ठी, सेमीनार, ज्ञापन और प्रदर्शन के माध्यम से लोगों को आपातकाल की जानकारी दी जाएगी. इस बीच प्रदेश की भजनलाल सरकार मीसा बंदियों की पेंशन को लेकर कानून भी लाने की तैयारी में है. मीसा पेंशन को अधिनियम का अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर चुकी भजनलाल सरकार के इस फैसले का राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने भी स्वागत किया. उन्होंने कहा कि ये कानून जरूरी भी में और फैसला स्वागत योग्य भी है.
इनकी कभी नहीं होगी पेंशन बंद: दरअसल 1975 में देश में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल घोषित हुआ. राष्ट्रपति की ओर से आपातकाल की घोषणा के बाद से देश में कई संगठनों के नेताओं को जेल में भी बंद किया गया. जिसमें आरएएस से जुड़े स्वयंसेवक भी थे. आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत जेलों में बंद किए गए अलग-अलग संघठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को बीजेपी मीसा बंदियों के नाम से बोलती है.
लोकतंत्र बचाने की दिशा में किए योगदान को देखते हुए लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए इन्हे पेंशन भी देती है, लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार आती है. मीसा बंदियों की पेंशन को बंद कर दिया जाता है. सरकार बदलने के साथ बंद होने वाली इस पेंशन को कानून अमलीजामा पहनाया जाए. मीसा पेंशन को अधिनियम का अमलीजामा पहनाने को लेकर सरकार में उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है. सूत्रों की मानें तो इसी बजट सत्र में ही मीसा पेंशन को लेकर विधेयक लाया जा सकता है. प्रदेश में करीब 1100 से भी ज्यादा मीसा और डीआईआर बंदी हैं, जो 26 जून 1975 को आपातकाल लगने से लेकर 1977 के दौरान जेलों में बंद रहे थे.
चुनावी संकल्प पत्र में भाजपा वादा: राजस्थान में पहली बार वर्ष 2008 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए 6 हजार रुपए पेंशन और 500 रुपए चिकित्सा सहायता प्रतिमाह शुरू की थी. विधानसभा चुनाव 2023 के संकल्प पत्र में भी भाजपा ने मीसा बंदियों की पेंशन सरकार बदलने के साथ बंद नहीं हो, इसको लेकर विधेयक लाने का वादा किया था. बता दें कि राजस्थान में पहली बार 2008 में भाजपा की सरकार बनने में मीसा बंदियों को पेंशन मिलना शुरू हुई, लेकिन सरकार बदलने के साथ 2009 में कांग्रेस ने पेंशन को बंद कर दी. 2014 फिर बीजेपी सरकार बनी तो मीसा पेंशन को शुरू किया गया. फिर 2019 में कांग्रेस सरकार ने पेंशन बंद कर दी.
वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने मीसा बंदियों की पेंशन के मुद्दे को उठाया था. प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद भजनलाल सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन शुरू करने का निर्णय लिया. पेंशन 20 हजार रुपए और चिकित्सा सहायता 4000 रुपए प्रति माह कर दी. भाजपा सरकार की मीसा बंदियों की पेंशन को लेकर लाये जाने वाले विधेयक को लेकर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि इस कानून की जरूरत है. ये फैसला स्वागत योग्य कदम है. कई राज्यों में ये कानून लाया जा चुका है. भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र में कहा था कि सरकार बनने के बाद इस तरह का कानून लाया जाएगा जिसके बाद सरकार बदलने के बाद भी पेंशन बंद नहीं होगी.
प्रदेश स्तरीय संगोष्ठी: युवा मोर्चा की और से भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेश स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी के मुख्य वक्ता राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इस दौरान 1975 में दी गई प्रताड़ना और आपातकाल के विभिन्न घटनाओं के बारे में अनुभव बताएं. उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी पर लोकतंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाती है. उसीने 1975 में संविधान और लोकतंत्र की कोई परवाह नहीं करते हुए भारत के नागरिकों की आजादी को छीनने का काम किया. कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी और प्रदेश उपाध्यक्ष नाहरसिंह जोधा ने भी आपातकाल के बारे में बताया.
युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अंकित चेची ने इस अवसर पर कहा कि पूरे देश भर में कांग्रेस ने संविधान और लोकतंत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी के बारे में भ्रांतियां फैलाई. युवा मोर्चा का प्रत्येक कार्यकर्ता आमजन के मध्य जाकर इन भ्रांतियों का जवाब कांग्रेस के काले इतिहास को बता कर देगा. देश का युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा करता है. इस मौके पर जयपुर शहर के युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र पुरुवंशी कार्यक्रम संयोजक उज्जवल जैन सहित युवा मोर्चा के कार्यकर्ता मौजूद रहे.