मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी का अभी तक बंटवारा नहीं हुआ है। कुल 24 डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री कमेटी (लोकसभा-राज्यसभा) हैं। इन कमेटी में सांसदों को उनकी पार्टी को मिली सीटों के आधार पर शामिल किया जाता है।
कांग्रेस ने इस बार 6 स्टैंडिंग कमेटी की अध्यक्षता की मांग की है। सरकार 4 देने को राजी है। इसमें डिफेंस और फाइनेंस कमेटी शामिल है। सरकार उन्हें विदेश मामलों की समिति की अध्यक्षता दे सकती है।
इसके अलावा केंद्र सरकार DMK को एक कमेटी की अध्यक्षता दे सकती है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव एजुकेशन से जुड़ी कमेटी की अध्यक्षता कर सकते हैं।
संसदीय कार्य मंत्री बोले- जल्द कमेटी का ऐलान होगा केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को कहा कि पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की घोषणा में देरी नहीं की जा रही है। जैसा कि कुछ विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन कमेटी में प्रमुख विपक्षी दलों को उनकी संख्या के आधार पर जगह दी जा रही हैं।
रिजिजू ने आगे कहा, अगर आप 2004 के बाद से सभी लोकसभा कार्यकाल को देखें, तो पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी का गठन सितंबर के अंत में किया जाता है। प्रोसेस चालू है।
कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर का पद भी मांगा था इससे पहले कांग्रेस ने लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद भी मांगा था। जून में हुए स्पीकर चुनाव से पहले उठी इस मांग को मानसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में भी दोहराया गया था। सरकार ने अब तक इस पर कोई जवाब नहीं दिया है। डिप्टी स्पीकर का चुनाव भी नहीं हुआ है। पिछली लोकसभा में भी डिप्टी स्पीकर नहीं था।
सवाल: सरकार की कुल कितनी डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी हैं? जवाब: भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कुल 24 डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी हैं। ये कमेटी दो प्रकार की होती हैं – पहली- स्टैंडिंग कमेटी, दूसरी- एड हॉक कमेटी। एड हॉक कमेटी को कुछ विशेष कामकाज के लिए बनाया जाता है। एक बार जब वो काम पूरा हो जाता है तो कमेटी खत्म कर दी जाती है।
सवाल: क्या लोकसभा-राज्यसभा में अलग-अलग कमेटी होती है? जवाब: कुल 24 पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी को दो हिस्सों में बांटा गया है। 16 कमेटी लोकसभा में आती हैं, वहीं 8 कमेटी राज्यसभा के अंतर्गत संचालित होती हैं।
सवाल: इन कमेटी में कितने मेंबर होते हैं? जवाब: इनमें से हर कमेटी में 31 मेंबर्स होते हैं, जिसमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से चुने जाते हैं। इन सभी कमेटी का कार्यकाल एक साल से अधिक नहीं होता है।
सवाल: कमेटी में सदस्यों का चयन कौन करता है? जवाब: स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को, जिन्हें सांसदों के पैनल के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें सदन के अध्यक्ष की तरफ से नॉमिनेट किया जाता है। ये अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार काम करते हैं।
सवाल: कमेटी का कार्यकाल कितना होता है? जवाब: संसद में कुल 50 संसदीय कमेटी होती हैं। इनमें 3 फाइनेंशियल कमेटीज, 24 डिपार्टमेंटल कमेटीज, 10 स्टैडिंग कमेटीज और 3 एडहॉक कमेटीज का कार्यकाल 1 साल का होता है। 4 एडहॉक कमेटीज और 1 स्टैडिंग कमेटी का कार्यकाल 5 साल का होता है। वहीं, 5 अन्य स्टैडिंग कमेटीज का कार्यकाल फिक्स नहीं होता।
सवाल: पार्लियामेंट्री कमेटी का क्या काम होता है? जवाब: हर विभाग की कमेटी अलग होती है। उससे जुड़े मामलों में गड़बड़ी की जांच करना, नए सुझाव देना, नए नियम-कानून का ड्रॉफ्ट तैयार करना इन कमेटी का मुख्य काम है।
उदाहरण: कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल संसद की पब्लिक अकाउंट कमेटी (PAC) की अध्यक्षता करते हैं। यह कमेटी हाल में चर्चा में आई थी। खबर थी कि PAC सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच पर लगे आरोपों की जांच कर सकती है। PAC इस मामले में वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालयों के अधिकारियों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। इस मामले में जांच के लिए बुच को सितंबर के अंत तक PAC के सामने पेश होने के लिए बुलाया जा सकता है।
सवाल: पार्लियामेंट्री कमेटी को ये अधिकार कहां से मिले? जवाब: पॉर्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी में शामिल सांसदों (कमेटी सदस्य) को संविधान के तहत दो अधिकार मिलते हैं। पहला आर्टिकल 105 – यह सांसदों को किसी कामकाज में दखल देने का विशेष अधिकार देता है। जिसके तहत वे कमेटी में अपनी राय और सुझाव देते हैं। दूसरा आर्टिकल 118- यह संसद के कामकाज में नियम-कानून बनाने का अधिकार देता है।