भारत और चीन के बीच 2020 से बंद कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधी फ्लाइट सेवाएं इस साल गर्मी के मौसम से फिर से शुरू हो जाएंगी। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय बीजिंग में भारतीय विदेश मंत्री विक्रम मिस्त्री और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच दो दिवसीय बैठक में लिया गया।
2020 से बंद थी यात्रा और फ्लाइट सेवा
कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद और कोविड-19 के चलते बंद हो गई थीं। डोकलाम विवाद और महामारी के कारण दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी।
सीमा विवाद सुलझने के बाद बढ़ा संवाद
पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कजान में मुलाकात की थी। इसके बाद डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित इलाकों से सेनाओं की वापसी हुई, जिसके बाद दोनों देशों ने यात्रा और फ्लाइट सेवा शुरू करने का निर्णय लिया।
2019 से पहले 539 उड़ानें हर महीने
कोरोना से पहले भारत और चीन के बीच हर महीने 539 सीधी उड़ानें थीं, जिनकी क्षमता 1.25 लाख सीटों से अधिक थी। 2020 के बाद यात्री अन्य देशों के जरिए यात्रा कर रहे थे, जो महंगी और असुविधाजनक थी।
कैलाश मानसरोवर की धार्मिक मान्यता
कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। जैन धर्म के अनुसार, यहां पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ ने मोक्ष प्राप्त किया था। यह पवित्र स्थल तिब्बत में स्थित है, जो चीन के अधिकार क्षेत्र में आता है।
यात्रा के लिए ऐतिहासिक समझौते
कैलाश यात्रा के लिए भारत और चीन ने 2013 और 2014 में लिपुलेख और नाथूला दर्रे से यात्रा की अनुमति देने के समझौते किए थे। हालांकि, 2020 से चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों की अनुमति रोक दी थी।
कैलाश पर्वत पर चढ़ाई क्यों नहीं हुई?
कैलाश पर्वत, जिसकी ऊंचाई 6638 मीटर है, आज तक अजेय है। इसकी खड़ी चढ़ाई (65 डिग्री का ऐंगल) इसे बेहद कठिन बनाती है।
व्यास घाटी से दर्शन कर रहे श्रद्धालु
कैलाश यात्रा बंद होने के बाद श्रद्धालु उत्तराखंड की व्यास घाटी से पर्वत के दर्शन कर रहे थे। 2024 में भारतीय इलाके से स्पष्ट रूप से कैलाश पर्वत दिखाई देने वाले स्थान की खोज की गई थी।
नई फ्लाइट सेवाओं और यात्रा के दोबारा शुरू होने से श्रद्धालुओं और यात्रियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।