मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद किरोड़ीलाल पहुंचे दिल्ली:बोले-45 साल से जिस क्षेत्र में सेवाएं दीं,वे लोग विमुख हुए,बर्दाश्त नहीं कर सकता

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मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद किरोड़ीलाल मीणा आज दिल्ली पहुंच गए हैं। दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के बाद भी किरोड़ीलाल मीणा अपने इस्तीफे के स्टैंड पर कायम हैं।

नड्डा से मिलने के बाद किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- मैंने इस्तीफा बहुत पहले दे दिया था। उजागर कल किया था, राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मुझे आज 11:15 बजे मिलने बुलाया था।

उन्होंने मुझसे पूछा इस्तीफा क्यों दिया, मैंने कहा एक ही कारण है कि मैं 40-45 साल से जिस क्षेत्र में सेवाएं दे रहा हूं, न दिन देखा न रात देखा, न गर्मी न सर्दी देखी। वो लोग मेरे से विमुख हो गए, यह चीज मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता, इसलिए नैतिकता के नाते मंत्री पर छोड़ दिया, क्योंकि मैंने लोकसभा चुनाव में इसकी घोषणा की थी।

मैं मेरे विधानसभा और संसदीय क्षेत्र में पार्टी को जीत नहीं दिला सका यही कारण है और कोई कारण नहीं है। इस्तीफा वापसी के सवाल पर कहा कि यह अलग बात है, 10 दिन बाद मिलूंगा, फिर बताऊंगा।

मैंने इमरजेंसी में मोदीजी के साथ काम किया, वे मुझसे स्नेह रखते हैं
किरोड़ी ने कहा- यह बात सही है कि इमरजेंसी में मोदी जी के साथ काम किया है, मैं मीसा में भी बंदी रहा हूं, यातनाएं भी बहुत दी गईं। मैं पार्टी लाइन नहीं छोड़ता, पार्टी के अनुशासन में रहता हूं। मोदी मुझे बहुत स्नेह करते हैं, मित्रवत संबंध रखते हैं, मैं भी उनका बहुत आदर करता हूं।

भाई को टिकट दिलाने की मांग नहीं की
भाई को दौसा से टिकट की पैरवी के सवाल पर किरोड़ीलाल ने कहा कि यह गलत है, ऐसी कोई बात नहीं है। चुनाव में जहां भी मेरे को भेजा जाएगा, मैं वहां काम करूंगा। तीन उप चुनाव ऐसे हैं, जहां एसटी बाहुल्य क्षेत्र है, मैं वहां काम करूंगा हम उम्मीदवारों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे।

हम पद के लिए राजनीति में नहीं आए
पद की मेरी कोई चाहत नहीं है। किसी से कोई नाराजगी नहीं है। हम संघ की शाखा में गीत गाया करते थे- नहीं चाहिए पद, शीश चढ़ाकर मां के चरणों में…. पद के लिए न मोदी जी आए न मैं आया। न कोई और आया, हम तो राष्ट्रभक्ति के भाव से काम करने आए हैं, यह संस्कार है देश कैसे मजबूत हो, उसके लिए पद मिले तो काम करना, न मिले तो भी काम करना है।

किरोड़ी ने गुरुवार को इस्तीफा देने का खुलासा करने के बाद कहा था कि वे शुक्रवार को दिल्ली जाएंगे। किरोड़ीलाल के इस्तीफा देने के बाद दिल्ली बुलाना, उन्हें मनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा हैं।

दरअसल, किरोड़ीलाल एक महीने पहले ही अपना इस्तीफा सीएम भजनलाल शर्मा को भेज चुके थे। सीएम ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। इस्तीफा देने के बाद किरोड़ीलाल अपनी मर्जी से दिल्ली गए थे। बताया जा रहा है कि उनसे दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मुलाकात नहीं की थी। इससे नाराज होकर किरोड़ीलाल ने जयपुर लौटकर अपने इस्तीफा देने का खुलासा कर दिया।

धार्मिक कार्यक्रम में किया था इस्तीफा देने का खुलासा
किरोड़ीलाल मीणा गुरुवार को जयपुर के मानसरोवर में एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। यहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए अपना इस्तीफा देने का खुलासा किया था। किरोड़ीलाल ने कहा था- मैंने 5 जून को अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया था। उसके बाद 25 जून को मैंने मिलकर भी उनकाे इस्तीफा सौंपा। उन्होंने इस्तीफे को पूरी तरह से ठुकरा दिया। इसके बाद मैंने उन्हें इस्तीफा मेल कर दिया है। इसकी घोषणा आज की है।

किरोड़ीलाल ने कहा- जैसा कि आप लोग जानते हो की तमाम कोशिश के बाद भी मैं अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी को जीता नहीं सका। मैंने चुनाव के दौरान घोषणा कर दी थी। उस घोषणा को मैंने पूरा किया है। दिन-रात मैंने जनता के लिए संघर्ष किया, लेकिन जनता ने मेरी नहीं मानी। मुझे निराश किया। इसलिए मैंने अंतरात्मा की आवाज से पद छोड़ दिया।

उन्होंने कहा था कि मेरी मुख्यमंत्री से कोई शिकायत नहीं है। न ही कोई संगठन से शिकायत है। न ही कोई अपेक्षा है और न ही मुझे कोई पद चाहिए। ईमानदारी से कह रहा हूं, मैं अपनी पार्टी को नहीं जीता सका। मेरी यह असफलता है, उसी असफलता के कारण मैंने इस्तीफा दिया है।

कहा था, आगे भी जनता के मुद्दों को उठाता रहूंगा
किरोड़ी लाल मीणा ने कहा था कि जब मैं सरकार था। तब मैंने आरएएस भर्ती परीक्षा को स्थगित करने की मांग की थी। वह परीक्षा स्थगित कर दी गई। हॉर्टिकल्चर की जमीन कौड़ियों के भाव में अलवर में बेच दी थी। मैंने सरकार का ध्यान आकर्षित किया। वह जमीन निरस्त हो गई। जल जीवन मिशन के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग मैंने सरकार से की थी। सरकार ने सीबीआई को जांच दे दी। सरकार में था तब भी जनता के मुद्दों को मजबूती से रखने का काम किया। आगे भी यह चलता रहेगा।

दरअसल, पिछले दिनों कृषि विभाग के इंजीनियरों के तबादलों को लेकर भी किरोड़ीलाल और पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर के बीच तनातनी सामने आई थी।

पंचायतीराज आयुक्त ने आदेश जारी कर किरोड़ीलाल के विभाग से जारी तबादलों को गलत बताते हुए जॉइनिंग पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जब विवाद बढ़ा तो फिर से आदेश निकाले गए। इस मुद्दे ने किरोड़ीलाल की नाराजगी को और बढ़ा दिया था।

रिजल्ट के दिन लिखा था- प्राण जाए पर वचन न जाए

लोकसभा चुनावों के रिजल्ट से पहले रुझानों में बीजेपी को 11 सीटें हारते देख ही मीणा ने दोपहर में ही सोशल मीडिया पोस्ट करके इस्तीफे के संकेत दे दिए थे।

उन्होंने रामचरित मानस की चौपाई- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाए, लिखकर संकेत दिए कि वे अपनी घोषणा से पीछे नहीं हटेंगे।

भाजपा की बढ़ सकती है परेशानी
किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा मंजूर हुआ तो पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। जानकार कहते हैं कि मीणा का सियासी ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो वे हमेशा आक्रामकता से मुद्दे उठाते रहे हैं। लोकसभा चुनावों में बीजेपी की हार के मुद्दे पर वे सरकार से बाहर आते हैं तो सरकार के साथ बीजेपी के लिए भी असहज हालात पैदा होंगे।

आगे पांच विधानसभा सीटों के उप-चुनावों और निकाय-पंचायत चुनावों में भी नरेटिव खराब हो सकता है। अब तक सरकार में रहकर कई मुद्दों पर शांत रहने वाले किरोड़ीलाल को मुखर होने का मौका मिल जाएगा। किरोड़ी सरकार में नहीं रहे तो मुद्दे उठाने के लिए आजाद हो जाएंगे।

उप चुनाव में दी गई है जिम्मेदारी
राजस्थान में जल्द ही 5 विधानसभा सीटों पर विधानसभा उप चुनाव होने हैं। इनमें झुंझुनूं, खींवसर, दौसा, देवली-उनियारा और चौरासी की सीटें हैं। भाजपा ने कुछ दिन पहले ही किरोड़ीलाल मीणा को दौसा सीट का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है।अब उनके इस्तीफे की जानकारी सामने आने के बाद पार्टी को यहां चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। दौसा विधानसभा सीट से मुरारीलाल मीणा विधायक थे, लेकिन उनके सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।

विधानसभा चुनाव के बाद से ही नाराजगी
दिसंबर 2023 में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई तो माना जा रहा था किरोड़ीलाल को उपमुख्यमंत्री जैसा पद मिल सकता है। जब सरकार बनी तो उन्हें कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री बनाया, इन विभागों के भी टुकड़े करके दिए। बताया जाता है कि सरकार बनने के बाद से ही वे असहज महसूस कर रहे थे।

लोकसभा चुनावों में किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा दौसा से बीजेपी टिकट के दावेदार थे। बीजेपी ने दौसा से जगमोहन मीणा को टिकट नहीं दिया, उनकी जगह कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया। कन्हैयालाल मीणा बड़े अंतर से हारे।