माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में 10 साल और भाई बसपा सांसद अफजाल को 4 साल की सजा

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गाजीपुर:-माफिया मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर मामले में गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट ने 10 साल और उनके भाई बसपा सांसद अफजाल को 4 साल की सजा सुनाई है। मुख्तार पर 5 लाख और अफजाल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना कोर्ट ने लगाया है। बांदा जेल में बंद मुख्तार की पेश वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई, जबकि अफजाल खुद कोर्ट पहुंचे थे। अफजाल अंसारी को दो साल से ज्यादा की सजा हुई है। ऐसे में उनकी संसद सदस्यता जाना तय है। शासकीय अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की है।

अफजाल को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच गाजीपुर जेल भेज दिया गया है। 30 दिन के अंदर फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकेंगे। गैंगस्टर एक्ट का ये मामला 2007 में कृष्णानंद राय की हत्या (2005) के दो साल बाद पुलिस ने दर्ज किया था। यह केस राय की हत्या के बाद हुई आगजनी, बवाल और कारोबारी नंद किशोर रुंगटा की अपहरण-हत्या को आधार बनाते हुए पुलिस ने मुख्तार और अफजाल पर दर्ज किया था।

गैंगस्टर एक्ट के जिस मामले में कोर्ट ने मुख्तार को सजा सुनाई है। वह मामला 2007 का है। कृष्णानंद राय की हत्या (2005) के 2 साल बाद 22 नवंबर 2007 को गाजीपुर की मुहम्मदाबाद पुलिस ने गैंगस्टर (गिरोह बंद अधिनियम) के तहत केस दर्ज किया था।

इस केस में पुलिस ने कृष्णानंद राय की हत्या, उसके बाद हुई आगजनी-बवाल और कारोबारी नंद किशोर रुंगटा की अपहरण-हत्या को आधार बनाते हुए दर्ज किया था। हालांकि, कृष्णानंद राय और नंद किशोर रुंगटा की हत्या में दोनों भाई (मुख्तार-अफजाल) बरी हो चुके हैं।

अपडेट्स…

  • जज ने जब मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। उस वक्त अफजाल अंसारी को कोर्ट से बाहर कर दिया गया।
  • कोर्ट के बाहर RAF तैनात है। बाहरी शख्स की एंट्री बंद कर दी गई। मीडिया कर्मियों को भी कोर्ट परिसर से बाहर कर दिया गया।
  • बसपा सांसद अफजाल अंसारी गाजीपुर कोर्ट पहुंच गए। उनकी दो कारों को कोर्ट कैंपस में आने की अनुमति दी गई।
  • बांदा जेल में बंद मुख्तार को गाजीपुर कोर्ट नहीं लाया गया है। वह जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी में शामिल हुए।

16 साल बाद आया फैसला
2007 के बाद यानी 16 साल से यह मामला गाजीपुर की MP/MLA कोर्ट में है। इस मामले में 15 अप्रैल को फैसला आना था। हालांकि, जज के छुट्‌टी पर जाने से सुनवाई टल गई थी। पिछले साल 23 सितंबर 2022 को दोनों भाई पर गैंगस्टर एक्ट के तहत आरोप तय हुए थे। इसके बाद वादी पक्ष की तरफ से गवाही और बहस पूरी हो चुकी थी। मामले में सांसद अफजाल अंसारी जमानत पर बाहर हैं।

2005 में हुई पूर्व विधायक कृष्णानंद राय की हत्या मामले में कोर्ट अंसारी बंधु को बरी कर चुकी है। लेकिन, गैंगस्टर एक्ट का यह मामला इसी से जुड़ा है। ऐसे में कोर्ट के फैसले से पहले कृष्णानंद राय की पत्नी अल्का राय ने मीडिया से बात की। कहा, “मुझे न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा है।”

वहीं, पिछले दिनों अफजाल अंसारी ने कहा था, “हम पर हत्या का जो केस लगाया था उसमें कोर्ट बरी कर चुका है। ऐसे में गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे का कोई आधार नहीं बनता है। कोर्ट पर भरोसा है।” दरअसल, हत्या से बरी होने की बात को आधार मानते हुए अफजाल अंसारी ने गैंगस्टर केस के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे। हालांकि, वहां राहत नहीं मिली थी।

8 महीने में मुख्तार को चौथी सजा
मुख्तार अंसारी को 22 सितंबर 2022 से 29 अप्रैल 2023 तक कुल 4 मामलों में सजा मिल चुकी है। 22 सितंबर 2022 को मुख्तार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 7 साल और अगले ही दिन वही जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने गैंगस्टर मामले में 5 साल की सजा सुनाई। 85 दिन बाद यानी 15 दिसंबर 2022 को मुख्तार को कांग्रेस नेता अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय मर्डर और एडिशनल एसपी पर हमले समेत कुल 5 मामलों में 10 साल की सजा हुई। आज गैंगस्टर मामले में मुख्तार को 10 साल की सजा हुई है।

चलिए, अब आपको 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड के बारे में बताते हैं…

XUV से 8 लोग उतरे, ताबड़तोड़ फायरिंग करके कृष्णानंद राय की हत्या कर दी
गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर 1985 से 2002 तक अंसारी बंधुओं का दबदबा रहा। साल 2002 में भाजपा नेता कृष्णानंद राय ने अंसारी फैमिली का विजय रथ रोकते हुए चुनाव जीता और विधायक बन गए। उन्होंने अफजाल अंसारी को 8 हजार वोटों से मात दी। यहीं से अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच अदावत शुरू हो गई।

AK-47 से तकरीबन 500 राउंड फायरिंग
चुनाव जितने के बाद तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक राय एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने जा रहे थे। टूर्नामेंट पास के गांव में था। इसलिए वे बुलेट प्रूफ गाड़ी की जगह सामान्य वाहन से चले गए। यहां से जब वो लौटने लगे, तब भावंरकोल की बसनिया पुलिया के पास एसयूवी गाड़ी उनकी गाड़ी के सामने आकर खड़ी हो गई। विधायक और उनके साथी कुछ भी समझ पाते, इससे पहले ही एसयूवी से 8 लोग उतरे और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

AK-47 से तकरीबन 500 राउंड फायरिंग की गई। विधायक और उनके साथ गाड़ी पर सवार 6 लोग और गाड़ी भी छलनी हो गई। विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 शवों का जब पोस्टमॉर्टम हुआ, तो सभी के शरीर से कुल 67 बुलेट मिलीं। मृतकों में विधायक के अलावा मोहम्दाबाद के पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्याम शंकर राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय थे।

कृष्णनंद की पत्नी ने कराया नामजद, हिंसा भड़की
इस हत्याकांड के बाद पूरा पूर्वांचल दहल उठा। विधायक के समर्थक तोड़फोड़ पर उतर आए, जमकर आगजनी की गई। विधायक की पत्नी अलका राय ने मुख्तार, अफजाल अंसारी के अलावा मुन्ना बजरंगी समेत अन्य कई के खिलाफ केस दर्ज करवाया। अलका चाहती थीं कि इस वारदात की जांच CBI करे। कुछ दिन तक CBI ने केस की जांच की, लेकिन फिर केस छोड़ दिया।

हत्याकांड के विरोध में राजनाथ सिंह ने चंदौली में धरना दिया था। इसके बाद केस की जांच CBI को सौंपी गई। CBI ने मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था। मुख्तार मऊ विधानसभा क्षेत्र से 5 बार विधायक रह चुके हैं। 2005 में मऊ में भड़की हिंसा में नाम सामने आने पर उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया था। इस हत्याकांड के एकमात्र चश्मदीद गवाह शशिकांत राय थे। उनकी कुछ ही दिन बाद संदिग्ध हालात में मौत हो गई। मामले में जांच चली, लेकिन सबूत नहीं मिले। इसके बाद कृष्णानंद हत्याकांड के सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया।

अब रूंगटा केस के बारे में पढ़िए…
पूर्वांचल के भेलूपुर में साल 1997 में कोयला व्यवसायी नंद किशोर रूंगटा की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। नंद किशोर के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा ने दिसंबर 1997 को भेलूपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि 5 नवंबर 1997 को शाम 5 बजे टेलीफोन पर मुख्तार अंसारी ने धमकी दी थी।

महावीर ने मुख्तार अंसारी और महरूपुर निवासी अताउर रहमान उर्फ बाबू के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। आरोप था कि वारदात को मुख्तार के सबसे भरोसेमंद शूटर अताउर रहमान ने अंजाम दिया था। रहमान कोयला व्यवसायी बनकर नंद किशोर को डील के बहाने उठा ले गया था। उसने नंद किशोर की हत्या कर शव को प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया था।