भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कटौती करते हुए इसे 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया है। इससे लोन सस्ते हो सकते हैं और EMI में कमी आने की संभावना है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा की।
पांच साल बाद घटी रेपो रेट
RBI ने मई 2020 में आखिरी बार रेपो रेट घटाई थी। इसके बाद मई 2022 से लगातार बढ़ोतरी होती रही, जो मई 2023 में रुकी। इस दौरान ब्याज दरें 2.50% तक बढ़ाकर 6.5% कर दी गई थीं। पांच साल बाद पहली बार RBI ने इसे कम किया है।
लोन और EMI पर क्या असर पड़ेगा?
- फिक्स्ड ब्याज दर वाले लोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
- फ्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन की EMI घट सकती है, क्योंकि यह रेपो रेट से जुड़ी होती है।
महंगाई पर RBI का नजरिया
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि महंगाई लक्ष्य के करीब रही है और नई फसल के आने से खाद्य महंगाई में और गिरावट की उम्मीद है। हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था में चुनौतियां बनी हुई हैं।
महंगाई और पॉलिसी रेट का संबंध
- महंगाई बढ़ने पर RBI पॉलिसी रेट बढ़ाकर मनी फ्लो कम करता है, जिससे मांग घटती है और महंगाई काबू में आती है।
- अर्थव्यवस्था में सुस्ती आने पर RBI पॉलिसी रेट घटाकर लोन सस्ते करता है, जिससे खर्च बढ़ता है और ग्रोथ को मदद मिलती है।
महंगाई के आंकड़े
- दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 5.22% रही, जो चार महीने के निचले स्तर पर थी।
- थोक महंगाई दिसंबर में बढ़कर 3.36% हो गई, जिससे कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि देखी गई।
महंगाई का असर
महंगाई का सीधा असर क्रय शक्ति (purchasing power) पर पड़ता है। अगर महंगाई 7% है, तो ₹100 की वास्तविक कीमत ₹93 रह जाती है। ऐसे में सही निवेश रणनीति अपनाने की जरूरत होती है, ताकि पैसों की वास्तविक कीमत बनी रहे।