फ्रांस पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी,रक्षा और AI सहयोग पर अहम चर्चा संभव

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंच गए हैं। इस यात्रा के दौरान वह फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक्शन समिट 2025 की सह-अध्यक्षता करेंगे। इसके बाद 12 फरवरी को वे अमेरिका के लिए रवाना होंगे।

PM मोदी के सम्मान में स्टेट डिनर

फ्रांस सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में 10 फरवरी को एलिसी पैलेस में VVIP डिनर का आयोजन किया है, जिसमें राष्ट्रपति मैक्रों समेत अन्य देशों के नेता भी शामिल होंगे।

AI समिट में चीन और अमेरिका की भागीदारी

11 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी पेरिस के ग्रैंड पैलेस में AI समिट की सह-अध्यक्षता करेंगे। इस समिट में AI के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग पर चर्चा होगी। कार्यक्रम में अमेरिका और चीन के शीर्ष प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, साथ ही ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन और गूगल-माइक्रोसॉफ्ट के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें भाग ले सकते हैं।

रक्षा सौदे और रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा

मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन फाइटर जेट और 3 स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों की खरीद समेत कई अहम रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। भारत और फ्रांस के बीच रक्षा क्षेत्र में पहले से ही मजबूत सहयोग रहा है।

भारत-फ्रांस के ऐतिहासिक संबंध

फ्रांस और भारत के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दों पर फ्रांस हमेशा भारत के पक्ष में खड़ा रहा है। 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद जब कई देशों ने भारत से दूरी बना ली थी, तब भारत ने पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास ‘वरुण’ फ्रांस के साथ ही किया था।

1974 में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण फ्रांस की मदद से किया था, जब अमेरिका ने जरूरी आपूर्ति देने से इनकार कर दिया था। 1982 में फ्रांस ने भारत को यूरेनियम की सप्लाई कर तारापुर न्यूक्लियर प्लांट को सुचारू रूप से चलाने में मदद की थी।

भारत और फ्रांस की साझेदारी होगी और मजबूत

प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा को भारत-फ्रांस संबंधों को और मजबूत करने का अवसर बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन की तुलना में भारत के आंतरिक मामलों में कम हस्तक्षेप करता है, जिससे दोनों देशों के रिश्ते हमेशा स्थिर और सकारात्मक रहे हैं।

इस दौरे से दोनों देशों के रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहयोग को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।