पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे ने वर्तमान सियासत में चल रहे सिंहासन के संघर्ष को लेकर कहा कि एक समय था जब पिता के आदेश पर भगवान राम सिंहासन छोड़ कर 14 वर्ष तक वनवास गए। भरत को सिंहासन पर बैठाने की भी तैयारी हुई,लेकिन उन्होंने त्याग की मिसाल पेश की। बड़े भाई राम की चरण पादुकाओं को सिंहासन पर रख कर ही शासन चलाया,लेकिन खुद सिंहासन से दूर रहे।
पूर्व सीएम ने कहा कि उस समय दोनो भाइयों का त्याग देखिए और आज दोनो में सिंहासन के लिए किस तरह संघर्ष हो रहा है, यह देखिए। किस तरह एक दूसरे के ऊपर तीर चलाये जा रहें है।
पूर्व सीएम राजे रविवार को ऋषिकेश में संत चिदानंद सरस्वती द्वारा आयोजित राम कथा में बोल रही थी।रामकथा व्यास थे मुरलीधर जी महाराज।पूर्व सीएम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयास से अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है।वे बोली राम राज्य की कल्पना तब साकार होती है जब धर्म और राजनीति साथ चले।राम को हृदय में बसा लीजिये।मन में राम नाम का जप कीजिए। फिर कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता,पर ‘मुख में राम बग़ल में छुरी’ मत करिये।जैसा कि आज कल हो रहा है।
पूर्व सीएम राजे ने चिदानंद सरस्वती महाराज ने पर्यावरण और जल संरक्षण अभियान की तारीफ़ की और कहा अटल जी के नदियों को जोड़ने के प्रयासों को साकार करने के लिए हमने मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान और नदियों से जोड़ने की योजना पर काम किया।जिसे इस सरकार ने बंद कर दिया।