संसद में मानसून सत्र का आज तीसरा दिन:सरकार बोली- मणिपुर हिंसा पर चर्चा हो;विपक्ष ने कहा-इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री बयान दें

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नई दिल्ली:-संसद के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है। शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही कुल 19 मिनट चली, फिर इसे 24 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। कांग्रेस सहित विपक्ष दलों की मांग है कि सरकार मणिपुर हिंसा को लेकर सदन में चर्चा करे। PM मोदी इस मुद्दे पर संसद में अपना बयान दें। हालांकि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नहीं बल्कि गृह मंत्री अमित शाह बोलेंगे।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस से मणिपुर के हालातों पर राजनीति न करने का आग्रह किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि सरकार चाहती है कि महिला पर हो रहे अत्याचार पर चर्चा हो, वो चाहे राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल या फिर मणिपुर ही क्यों न हो।

मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्षी नेता आज संसद के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।

मानसून सत्र के दूसरे दिन मणिपुर हिंसा को लेकर नेताओं के बयान…

खड़गे ने ट्विटर पर लिखा, नरेंद्रमोदी जी, आपने कल संसद के अंदर एक बयान नहीं दिया। अगर आप नाराज थे तो कांग्रेस शासित राज्यों के साथ झूठी तुलना करने के बजाय, आप पहले अपने मुख्यमंत्री मणिपुर को बर्खास्त कर सकते थे। – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे

विपक्ष चर्चा से बचने और संसदीय कार्यवाही को बाधित करने के लिए कोई न कोई बहाना बनाता रहता है। कुछ लोग अब संसद भवन का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए वे नहीं चाहते कि संसद आगे चले। – केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर

मैं विपक्ष से अपील करना चाहूंगा कि वे बार-बार अपना रुख न बदलें और राजनीति में शामिल न हों क्योंकि यह महिलाओं की गरिमा से जुड़ा एक बहुत ही संवेदनशील मामला है। मुझे लगता है कि संसद सत्र चलना चाहिए, क्योंकि हम इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। – केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

मणिपुर में हिंसा ने हम सभी को झकझोर दिया है। मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह नींद से जागे और मणिपुर मुद्दे पर चर्चा करे। पूरा देश जानना चाहता है कि मणिपुर में क्या हो रहा है, सरकार ने क्या किया है? मणिपुर सरकार को बर्खास्त किया जाए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। – आप सांसद राघव चड्ढा

केंद्र सरकार मानसून सत्र में 31 बिल लाएगी, सत्र में 17 बैठकें होंगी
मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 17 बैठकें होंगी। केंद्र सरकार मानसून सत्र में 31 बिल ला रही है। इनमें 21 नए बिल हैं वहीं 10 बिल पहले संसद में पेश हो चुके हैं। उन पर चर्चा होगी। सबसे ज्यादा चर्चित बिल दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा अध्यादेश है।

तीन चर्चित बिल जो इस सेशन में पेश होने हैं…

1. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023
केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस से जुड़े अधिकारों को लेकर एक अध्यादेश जारी किया था। इसके जरिए केंद्र सरकार नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन करेगी। इस अथॉरिटी में दिल्ली CM, मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव होंगे।

विपक्ष का रुख: दिल्ली को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया है। कांग्रेस ने 16 जुलाई को AAP को समर्थन देने की बात कही। वहीं केजरीवाल को बंगाल CM ममता बनर्जी, शरद पवार, केसीआर और उद्वव ठाकरे का साथ पहले ही मिल चुका है। 18 जुलाई को बेंगलुरु में 26 पार्टियों की विपक्षी एकता बैठक भी हुई थी।

मायने: अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा।

2. डिजिटल पसर्नल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023
इस बार के मानसून सेशन में डिजिटल पसर्नल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 भी पेश किया जाएगा। हालांकि, इससे पहले अगस्त 2022 में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया गया था, लेकिन IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव द्वारा वापस ले लिया गया था। IT मंत्रालय ने बिल को नए सिरे से तैयार किया, इस बार उसे डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) बिल नाम दिया।

विपक्ष का रुख: इस साल 12 जून को कोविन ऐप पर डेटा लीक की खबर आई थी। जिसको लेकर विपक्षी नेताओं ने काफी हंगामा किया था। हालांकि, सरकार ने डेटा लीक के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। डिजिटल पसर्नल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर विपक्ष का रुख क्या रहता है, यह सदन की कार्यवाही के दौरान पता चलेगा।

मायने: इस बिल के तहत टेलिकॉम कंपनियों से लेकर सोशल मीडिया व अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंपनियों पर यूजर का डेटा लीक करना प्रतिबंधित हो जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने पर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसका मकसद देश के नागरिकों की निजी डेटा की सुरक्षा करना है।

3. जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023
मानसून सत्र में एक और बिल पास किया जाने वाला है। इसका नाम जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 है। 13 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस बिल को मंजूरी भी दे दी गई।22 दिसंबर 2022 को ये बिल लोकसभा में इंट्रोड्यूस किया गया था, अभी पास होना बाकी है।

विपक्ष का रुख: विपक्ष की तरफ से अभी जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 पर कुछ टिप्पणी नहीं की गई है।

मायने: सिटिजन्स के डेली रूटीन को आसान बनाने के लिए 42 अधिनियमों के 183 प्रावधानों को या तो खत्म कर दिया जाएगा या उनमें संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की कैटेगरी से हटा दिया जाएगा। इनमें जेल की सजा से जुड़े कई प्रावधान शामिल हैं। इन संशोधनों को लागू किए जाने से मुकदमों का बोझ घटेगा।

अब जानिए वो 10 बिल जो पहले पेश हो चुके, मानसून सेशन में चर्चा होगी
बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (संसोधन) बिल 2022, जन विश्वास (संसोधन) बिल-2023, मल्टी स्टेट कॉपरेटिव सोसाइटीज (संसोधन) बिल 2022, डीएनए टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल 2019, रिपीलिंग एंड एमेंडमेंट बिल 2022, फॉरेस्ट कंजर्वेशन एमेंडमेंट बिल, 2023, मीडिएशन बिल 2021, सिनेमेटोग्रॉफ संसोधन बिल 2019, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (तीसरा संशोधन) बिल 2022, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (चौथा संशोधन) बिल 2022

विपक्ष के वो 4 मुद्दे जिन पर सरकार को घेरने की तैयारी…

1. दिल्ली पर केंद्र सरकार का अध्यादेश
दिल्ली पर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल के साथ पूरा विपक्ष लामबंद हो गया है। केजरीवाल का कहना है, दिल्ली का अध्यादेश एक प्रयोग है। बाद में इसे बाकी राज्यों में लागू किया जाएगा। वह दिन दूर नहीं, जब पीएम 33 राज्यपालों और LG के माध्यम से सभी राज्य सरकारें चलाएंगे। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इसे लोकतंत्र पर हमला बता चुके हैं। ऐसे में सभी विपक्षी दल एक सुर में इस अध्यादेश का विरोध करेंगे।​

2. मणिपुर हिंसा पर सवाल
मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसक झड़प हो रही है। 77 दिन से जारी हिंसा पर कांग्रेस काफी समय से सरकार को घेरने में लगी है। जयराम रमेश ने 14 जुलाई तो राहुल गांधी ने 15 जुलाई को PM की चुप्पी पर निशाना साधा था।

सत्र शुरू होने के एक दिन पहले दो महिलाओं के बिना कपड़ों के सड़क पर घुमाने की घटना का वीडियो वायरल हुआ। इस पर पहले और दूसरे दिन हंगामा भी हुआ है।

3. यूनिफॉर्म सिविल कोड
केंद्र ने मानसून सेशन में लाए जा रहे अपने 31 विधेयकों में भले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को शामिल नहीं किया हो। मगर यह चर्चा का विषय जरूर है। नरेंद्र मोदी ने 27 जून को मध्य प्रदेश में एक जनसभा के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा उठाया था। पीएम ने कहा था कि एक घर में दो कानून नहीं चल सकते। जिसके बाद से विपक्ष के लिए यह बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

4. राहुल गांधी की सांसदी जाने का मुद्दा
मोदी सरनेम केस में 24 मार्च को राहुल की सांसदी चली गई थी। ऐसे में वह संसद सदस्य नहीं होने के कारण मानसून सत्र में बैठ नहीं पाएंगे। पिछले बजट सेशन के बीच में राहुल की सदस्यता गई थी जिसको लेकर कांग्रेस ने सदन में काफी हंगामा किया था।

हाल ही में 7 जुलाई को गुजरात हाई कोर्ट ने भी राहुल की सजा कम करने से इनकार कर दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट में 21 जुलाई को सुनवाई होनी है। ऐसे में कांग्रेस मानसून सेशन में इसको बहस का मुद्दा बनाएगी।

पांच राज्यों में चुनाव से पहले संसद में हंगामे के आसार
संसद का इस बार का मानसून सत्र काफी अहम है। अगले कुछ महीनों में देश के पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल इस साल दिसंबर और अगले साल जनवरी में खत्म हो जाएगा। ऐसे में सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दल दोनों आगामी चुनावों का बिगुल संसद में बहस के साथ फूंक देंगे।