राज्यसभा में गुरुवार देर रात 12 घंटे से अधिक चली बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया। इस दौरान विधेयक के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इससे पहले, बुधवार को लोकसभा में भी यह विधेयक लंबी चर्चा के बाद मंजूरी पा चुका था। अब यह राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और उनकी स्वीकृति मिलने के बाद इसे कानून का रूप मिल जाएगा।
सरकार ने पारदर्शिता और जवाबदेही पर दिया जोर
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि इसे व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। उन्होंने कहा कि संशोधित विधेयक में पारदर्शिता, जवाबदेही और सटीकता को प्राथमिकता दी गई है।
रिजिजू ने यह भी कहा कि जेपीसी की सिफारिशों के आधार पर कई बदलाव किए गए हैं, हालांकि सभी सुझावों को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया।
विपक्ष ने विधेयक पर जताई आपत्ति
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियां व्यापारिक समूहों को दी जा सकती हैं। खड़गे ने कहा, “मेरे पास वक्फ की एक इंच भी जमीन नहीं है। यदि कोई आरोप लगा रहा है, तो उसे साबित करे या माफी मांगे।”
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा, “आपको मुस्लिमों की इतनी चिंता कब से होने लगी? सरकार को उन जमीनों की चिंता करनी चाहिए, जिन पर चीन ने कब्जा कर लिया है।”
आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी विधेयक का विरोध किया और कहा कि “बहुमत का मतलब आजादी की गारंटी नहीं होता।” उन्होंने हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच सह-अस्तित्व पर जोर देते हुए कहा कि इस सामंजस्य को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए।
भाजपा सांसदों ने विधेयक का समर्थन किया
भाजपा सांसद राधामोहन दास अग्रवाल ने विधेयक के समर्थन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी की बैठक में कहा था कि यदि मुस्लिम समुदाय उन्हें वोट नहीं भी देता, तो भी उनके विकास को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि लोकतंत्र का मतलब यह नहीं है कि सिर्फ एक पक्ष की ही बात सुनी जाए। उन्होंने कहा कि 2013 में बनी जेपीसी में 13 सदस्य थे, जबकि मौजूदा सरकार में यह संख्या बढ़ाकर 31 कर दी गई है।
आम आदमी पार्टी ने सुझावों को सार्वजनिक करने की मांग की
आप सांसद संजय सिंह ने विधेयक के विरोध में कहा कि सरकार इसे अल्पसंख्यकों के हित में बता रही है, लेकिन पूरी कैबिनेट में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा करने की योजना बनाई जा रही है और सरकार को इस पर प्राप्त सुझावों को सार्वजनिक करना चाहिए।
अब यह विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे कानून का दर्जा मिलेगा।