नई दिल्ली:-एक साल पहले बनकर तैयार हुई नई संसद की छत से पानी लीक होने का एक वीडियो सामने आया है। इसमें दिखाई दे रहा है कि संसद की लॉबी में पानी गिर रहा है और उसके नीचे एक बाल्टी रखी है जिसमें पानी जमा हो रहा है। यह वीडियो कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने शेयर कर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा- संसद के बाहर पेपर लीक और अंदर पानी लीक।
इसे लेकर लोकसभा सचिवालय ने कहा कि ग्रीन संसद की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए संसद भवन के कई हिस्सों में कांच के गुंबद (ग्लास डोम) लगाए गए हैं, ताकि नेचुरल लाइट आ सके। इसमें लॉबी भी शामिल है। बुधवार को भारी बारिश के बाद ग्लास डोम को सील करने के लिए लगाया गया पदार्थ हट गया था, जिसके चलते पानी का रिसाव हुआ। हालांकि इसे अब ठीक कर लिया गया है।
अखिलेश बोले- इससे तो पुरानी संसद अच्छी थी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि इस नई संसद से अच्छी तो वो पुरानी संसद थी, जहां पुराने सांसद भी आकर मिल सकते थे। क्यों न फिर से पुरानी संसद चलें, कम से कम तब तक के लिए, जब तक अरबों रुपयों से बनी संसद में पानी टपकने का कार्यक्रम चल रहा है। जनता पूछ रही है कि भाजपा सरकार में बनी हर नई छत से पानी टपकना, उनकी सोच-समझकर बनाई गई डिजाइन का हिस्सा होता है या फिर…
वहीं सपा के मीडिया सेल ने ट्वीट किया कि भाजपा सरकार में नेता इंजीनियर बन जाते हैं, इंजीनियरों को निर्देश देना शुरू कर देते हैं, काम में दखलंदाजी और आर्किटेक्चर में दखल देते हैं जिसका परिणाम सामने है। नए संसद भवन में पानी टपक रहा है। न पानी निकासी के इंतजाम हैं, न सीवर ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त है। भाजपा सरकार में दिल्ली हो या यूपी दोनों जगह यही हो रहा है।
दिल्ली में बुधवार को एक घंटे में 114 मिमी से ज्यादा बारिश
दिल्ली में बीते कुछ दिनों से बारिश के चलते हालात बेहद खराब हैं। 27 जुलाई को ओल्ड राजेंद्र नगर में बारिश के बाद पानी भरने से राउ कोचिंग इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में पानी भर गया। इसमें तीन स्टूडेंट्स की जान चली गई। वहीं, 31 जुलाई को सिर्फ एक घंटे में 114 मिमी बारिश हुई। इसके चलते संसद, सुप्रीम कोर्ट, एम्स, लुटियंस दिल्ली, भारत मंडपम, इंडिया गेट-रिंग रोड टनल, प्रगति मैदान पानी में डूबे रहे।
पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट थी नई संसद
नए संसद भवन का उद्धाटन 28 मई, 2023 को हुआ था। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनी ये बिल्डिंग प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे 28 महीने में बनाया गया।
क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग
पुराना संसद भवन 97 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।
4 मंजिला बिल्डिंग, भूकंप का असर नहीं
पुराना संसद भवन 47 हजार 500 वर्गमीटर में है, जबकि नई बिल्डिंग 64 हजार 500 वर्ग मीटर में बनाई गई है। यानी पुराने से नया भवन 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और VIPs के लिए अलग एंट्री है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसका डिजाइन HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।
नई संसद के उद्घाटन का 20 विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया
कांग्रेस समेत 20 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार किया था। विपक्ष का कहना था कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री मोदी से इसका इनॉगरेशन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। वहीं, भाजपा समेत 25 पार्टियां उद्घाटन समारोह में शामिल हुईं।