नई दिल्ली :- नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी गई है। इस मिशन के तहत सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहती है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट मीटिंग में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा है। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी की गई है।
इस योजना के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कंपनियों को इंसेंटिव दिए जाएंगे। इंसेंटिब पर 17,490 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त 2021 में किया था।
ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने पर भी फोकस
अनुराग ठाकुर ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन हब्स का विकास किया जाएगा। इससे ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादक और उपभोक्ता को एक ही जगह पर लाया जाएगा। ताकि ट्रांसपोर्टशन भी न बढ़े और जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर भी एक जगह उपलब्ध कराया जा सके। 2047 तक देश को एनर्जी इंडिपेंडेंट बनाने का लक्ष्य हम प्राप्त करे इसके लिए ये बहुत जरूरी कदम है।
सुन्नी डैम हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को मंजूरी
हिमाचल प्रदेश में सुन्नी डैम हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। शिमला में सतलुज नदी पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट पर करीब 2,614 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसकी क्षमता 382 मेगावोट है। इसे 5 साल 3 महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
हाइड्रोजन और अमोनिया भविष्य के प्रमुख ईंधन
सरकार हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के प्रमुख ईंधन के रूप में मान रही है। यह भविष्य में फॉसिल फ्यूल (पेट्रोल, डीजल, कोयला) को रिप्लेस करेगा। नई पॉलिसी में कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स पावर एक्सचेंज से रिन्यूएबल पावर खरीद सकते हैं। मैन्युफैक्चरर्स खुद का भी रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट लगा सकते हैं।
भविष्य के ईधन में आत्मनिर्भर बनना चाहता है भारत
ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बनाने की बात इसलिए हो रही है क्योंकि यह भविष्य का प्रमुख ईंधन माना जा रहा है। इसके तहत भारत ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे ईंधनों में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। पेट्रोलियम की तरह भारत इन ईंधनों के लिए दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या होता है?
ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का सबसे साफ सोर्स है। इससे प्रदूषण नहीं होता है। ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बनाने के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी (सोलर, हवा) का इस्तेमाल करता है। ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ट्रांसपोर्ट, केमिकल, आयरन सहित कई जगहों पर किया जा सकता है।