दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे आसाराम को एक और महीने की अस्थायी जमानत,हाईकोर्ट ने दी आखिरी मोहलत

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गुजरात हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को एक और महीने की अस्थायी जमानत दे दी है। अदालत ने यह राहत मेडिकल आधार पर दी है और स्पष्ट किया है कि यह जमानत का अंतिम विस्तार होगा।

हाईकोर्ट की जस्टिस ईलेश वोरा और पीएम रावल की पीठ ने मंगलवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि 86 वर्षीय आसाराम की जमानत 30 जून को खत्म हो रही थी, जिसे अब एक महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें 31 मार्च तक अंतरिम राहत दी थी और आगे के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका लगाने की अनुमति दी थी।

आसाराम के वकील ने कोर्ट से तीन महीने की और जमानत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और साफ कहा कि एक महीने की यह मोहलत अंतिम होगी।

राजस्थान हाईकोर्ट से भी राहत

इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी आसाराम की एक अन्य केस में अंतरिम जमानत 9 जुलाई तक बढ़ा दी थी। वह फिलहाल मेडिकल आधार पर दोनों मामलों में अस्थायी जमानत पर बाहर हैं।

क्या है मामला?

जनवरी 2013 में गांधीनगर की एक अदालत ने आसाराम को एक महिला शिष्या के साथ बार-बार दुष्कर्म करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पीड़िता सूरत की रहने वाली थी और 2001 से 2006 के बीच अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में रह रही थी। इसी दौरान उसने आरोप लगाया था कि आसाराम ने उसके साथ कई बार बलात्कार किया।

11 साल बाद बेटे से मुलाकात

हाल ही में आसाराम से उसका बेटा नारायण साईं भी मिला। यह मुलाकात 11 साल बाद हुई। नारायण साईं ने अदालत में याचिका दायर कर अपने पिता से मिलने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने 5 दिन की अंतरिम जमानत देते हुए शर्त रखी कि पुलिस सुरक्षा और यात्रा से जुड़ा सारा खर्च वह खुद उठाएगा।

फिलहाल, आसाराम विभिन्न अदालतों से मिली अस्थायी राहतों के तहत जेल से बाहर हैं, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आगे उन्हें कोई और मोहलत नहीं दी जाएगी।