देश के सबसे बड़े निजी बैंक HDFC के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर शशिधर जगदीशन ने खुद पर दर्ज FIR को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। यह FIR लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की ओर से दर्ज कराई गई थी, जिसमें जगदीशन पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
क्या हैं आरोप?
ट्रस्ट का आरोप है कि जगदीशन ने ट्रस्ट के एक पूर्व सदस्य से 2.05 करोड़ रुपये लिए, जिसका मकसद ट्रस्ट के मौजूदा सदस्य के पिता को परेशान करना था। ट्रस्ट का दावा है कि उनके पास एक डायरी सहित पुख्ता सबूत हैं, जिसमें कुल 14.42 करोड़ रुपये की कथित हेराफेरी का जिक्र है।
30 मई 2025 को मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद बांद्रा थाने में जगदीशन और सात अन्य के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन जजों ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया, जिसके बाद केस में देरी हो रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को 8 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
HDFC बैंक का बचाव
HDFC बैंक ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण” बताया है। बैंक का दावा है कि यह FIR बैंक और उसके CEO को बदनाम करने की साजिश है। बैंक के मुताबिक, मेहता परिवार ने 1995 में लिए गए एक लोन की 65.22 करोड़ रुपये की बकाया राशि चुकाने में डिफॉल्ट किया है, और अब इस तरह की शिकायतों के जरिए लोन वसूली को रोकने की कोशिश की जा रही है।
बैंक ने अपने बयान में कहा, “हमारे CEO को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। हम उनके सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे।”
कौन हैं शशिधर जगदीशन?
शशिधर जगदीशन 1996 से HDFC बैंक से जुड़े हैं और 2020 में CEO बने। वे इससे पहले बैंक के CFO रह चुके हैं। मुंबई में जन्मे जगदीशन ने फिजिक्स में ग्रेजुएशन और यूके की शेफील्ड यूनिवर्सिटी से मनी, बैंकिंग और फाइनेंस में मास्टर्स किया है। RBI ने 2023 में उनके कार्यकाल को 2026 तक बढ़ाया था।
लीलावती ट्रस्ट में वर्षों से जारी विवाद
मुंबई स्थित लीलावती अस्पताल को चलाने वाला ट्रस्ट वर्षों से मेहता परिवार के बीच आपसी विवादों का केंद्र रहा है। 2023 में ट्रस्ट का नियंत्रण किशोर मेहता के परिवार को मिला, जिसके बाद फोरेंसिक ऑडिट में 1200 से 1500 करोड़ रुपये की गड़बड़ियों के दावे किए गए। ट्रस्ट ने आरोप लगाया है कि जगदीशन ने पुराने ट्रस्टियों के साथ मिलकर इन गड़बड़ियों को छुपाने में मदद की।
अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट में 8 जुलाई को क्या फैसला आता है और यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।