लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बांसवाड़ा-डूंगरपुर से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने राजस्थान के आदिवासी इलाकों में बच्चों को गरीबी के कारण गिरवी रखने का मामला उठाया।
सांसद रोत ने कहा कि 20-25 साल पहले आदिवासी समुदाय के लोग जरूरतें पूरी करने या इलाज के लिए जमीन और जेवरात गिरवी रखते थे, लेकिन अब हालात इतने बदतर हो गए हैं कि परिवारों को अपने छोटे बच्चों और बेटियों को गिरवी रखना पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में कई बच्चे गिरवी रखे गए हैं, लेकिन इस गंभीर समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि विकास के नाम पर आदिवासियों को विस्थापित किया जा रहा है, लेकिन उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो रहा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आदिवासी इलाकों में सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं और जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का जिक्र करते हुए रोत ने डूंगरपुर के एक मरीज का उदाहरण दिया, जिसे मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए एक महीने बाद की तारीख दी गई, लेकिन जब तक उसका नंबर आया, तब तक उसका अंतिम संस्कार हो चुका था। उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद दयनीय स्थिति है।